Edited By Anil dev,Updated: 27 Apr, 2021 07:14 PM
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने न्यायाधीशों, अपने कर्मियों और उनके परिवारों के लिए किसी पांच सितारा होटल में कोविड-19 केंद्र बनाने का कोई अनुरोध नहीं किया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उस समाचार...
नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने न्यायाधीशों, अपने कर्मियों और उनके परिवारों के लिए किसी पांच सितारा होटल में कोविड-19 केंद्र बनाने का कोई अनुरोध नहीं किया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उस समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था राष्ट्रीय राजधानी के अशोका होटल के 100 कमरों को दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुरोध पर उसके न्यायाधीशों के लिए कोविड-19 स्वास्थ्य केंद्र में बदला गया है।
न्यायाधीशों के लिए कभी 100 बिस्तरों की सुविधा नहीं मांगी
पीठ ने कहा, इस संबंध में किसी से भी कोई संवाद नहीं किया गया। न्यायाधीशों के लिए कभी भी पांच सितारा होटल में 100 बिस्तरों की सुविधा नहीं मांगी गई। उसने कहा, हमने किसी पांच सितारा होटल को कोविड-19 केंद्र में बदलने जैसा कोई आग्रह नहीं किया है। हाई कोर्ट ने कहा कि एक संस्थान के रूप में हम ऐसी किसी भी प्राथमिकता के आधार पर ट्रीटमेंट के बारे में सोच भी नहीं सकते। उसने दिल्ली सरकार से तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने को कहा। चाणक्यपुरी के उपमंडलीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा 25 अप्रैल को जारी आदेश में कहा गया था कि अशोका होटल में कोविड-19 केंद्र को प्राइमस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से संबद्ध किया जाएगा।
दिल्ली सरकार ने अदालत को खुश करने के लिए ऐसा किया
पीठ ने आदेश को गलत बताते हुए कहा कि इसके कारण यह छवि पेश हुई है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने यह आदेश अपने लाभ के लिए जारी किया है या दिल्ली सरकार ने अदालत को खुश करने के लिए ऐसा किया है। अदालत ने वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा के इस दावे से असहमति जताई कि मीडिया ने बदमाशी की। उसने कहा, मीडिया ने कुछ गलत नहीं किया। अदालत ने कहा कि मीडिया ने केवल यह बताया कि आदेश में क्या गलत था और गलत एसडीएम का आदेश था। भी नहीं सकते.