2 साल की उम्र में 45 किलो वजन, ... सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो डॉक्टरों ने किया 'चमत्कार'

Edited By Anil dev,Updated: 03 Aug, 2021 07:10 PM

national news punjab kesari delhi hospital bariatric surgery doctor

दिल्ली के एक अस्पताल में 45 किलोग्राम वजन की दो वर्षीय बच्ची की सर्जरी की गयी। अस्पताल ने दावा किया है कि पिछले एक दशक से ज्यादा समय में देश में ‘बेरिएट्रिक सर्जरी'' कराने वाली वह सबसे कम उम्र की मरीज है।

नेशनल डेस्क: दिल्ली के एक अस्पताल में 45 किलोग्राम वजन की दो वर्षीय बच्ची की सर्जरी की गयी। अस्पताल ने दावा किया है कि पिछले एक दशक से ज्यादा समय में देश में ‘बेरिएट्रिक सर्जरी' कराने वाली वह सबसे कम उम्र की मरीज है। मोटापे की वजह से बच्ची की हालत इतनी खराब थी कि वह बेड पर करवट भी नहीं बदल पाती थी और उसे व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ रहा था। पटपड़गंज के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने वजन कम करने के लिए बच्ची के पेट की सर्जरी की। अस्पताल ने एक बयान में कहा, ‘‘बच्चों के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी का मामला दुर्लभ है। इसलिए इस मामले को एक दशक से अधिक समय में भारत में सबसे कम उम्र की मरीज की बेरिएट्रिक सर्जरी कहा जा सकता है। आपात चिकित्सकीय जरूरत के कारण यह प्रक्रिया की गई।'' बेरिएट्रिक सर्जरी की प्रक्रिया के बाद रोगियों को पेट भरे होने का एहसास मिलता है और भूख कम लगने से वजन कम होता है और स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार होता है।

जन्म के समय सामान्य थी बच्ची की हालत 
 पेड्रिएटिक इंडोक्रायोनोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. मनप्रीत सेठी ने बताया, ‘‘जन्म के समय बच्ची की हालत सामान्य थी और उसका वजन 2.5 किलोग्राम था। हालांकि जल्द ही तेजी से उसका वजन बढ़ने लगा और छह महीने में 14 किलोग्राम वजन हो गया। बच्ची का भाई आठ साल का है। उसका वजन उम्र के हिसाब से सही है। अगले डेढ़ साल में बच्ची का वजन बढ़ता रहा और दो साल तीन महीने की होने पर उसका वजन 45 किलोग्राम हो गया।'' आम तौर पर इस उम्र में बच्चों का वजन 12 से 15 किलोग्राम के बीच होता है। सेठी ने कहा कि बच्ची की सेहत तेजी से बिगड़ने लगी और सांस लेने में दिक्कतें आने के साथ नींद में भी अवरोध होने लगा। वह ठीक से पलट भी नहीं पाती थी और पीठ के बल लेटे रहना पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक कड़ा निर्णय था लेकिन हमने उसकी जान बचाने के लिए ‘बेरिएट्रिक सर्जरी' का सहारा लेने का फैसला किया। बच्ची का वजन इतना बढ़ गया था कि उसके माता-पिता भी उसे गोद में नहीं ले पाते थे और 10 महीने की उम्र के बाद से ही उसे व्हीलचेयर पर रहना पड़ रहा था।'' 

सर्जरी के लिए सारे विभागों ने साथ मिलकर काम करने का किया फैसला 
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, बेरिएट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी' के विभाग प्रमुख डॉ. विवेक बिंदल ने कहा कि सर्जरी के लिए कई सारे विभागों ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया। बिंदल ने कहा कि वयस्कों के लिए उपचार पद्धति प्रचलित है लेकिन इतनी कम उम्र के बच्चे के लिए उपचार को लेकर कोई संदर्भ या वीडियो वगैरह भी उपलब्ध नहीं था, ऐसे में यह सर्जरी एक चुनौती थी। पेन मैनेजमेंट एंड एनेस्थिशिया के विभाग प्रमुख डॉ. अरुण पुरी ने कहा कि सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान बच्ची को बेहोश करना भी चुनौती थी। सर्जरी के बाद बच्ची के लिए भोजन की विशेष तालिका तैयार की गयी और पोषण स्तर बरकरार रखते हुए धीरे-धीरे वजन कम होता गया। अगले साल तक वजन कम होने और उसके बाद सामान्य हिसाब से वजन बढ़ने की उम्मीद है। डॉक्टरों की टीम आगे भी बच्ची की करीबी निगरानी करेगी। बच्ची के पिता ने कहा कि लड़ाई अभी आधी जीती है और उन्हें अभी लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो साल हमारे लिए काफी मुश्किलों भरे थे और सर्जरी कराने का फैसला करना बहुत कठिन रहा क्योंकि इस उम्र के बच्चे के लिए पहले से कोई उपचार पद्धति का पता नहीं था।'' 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!