केंद्र सरकार ने SC में कहा, हाईकोर्ट ने आतंकवाद रोधी कानून को सिरे से पलटा, फैसले पर रोक लगाएं

Edited By Anil dev,Updated: 19 Jun, 2021 11:31 AM

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दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जे.एन.यू. की छात्राओं नताशा नरवाल व देवांगना कालिता और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा को जमानत देने से आतंकवाद रोधी कानून यू.ए.पी.ए. (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून) चर्चा में आ गया है।

नेशनल डेस्क; दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जे.एन.यू. की छात्राओं नताशा नरवाल व देवांगना कालिता और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा को जमानत देने से आतंकवाद रोधी कानून यू.ए.पी.ए. (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून) चर्चा में आ गया है। केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में कहा कि पूरे यू.ए.पी.ए. को सिरे से उलट दिया गया है। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद तकनीकी रूप से निचली अदालत को अपने आदेश में ये टिप्पणियां रखनी होंगी और मामले में आरोपियों को बरी करना होगा। 

न्यायमूॢत हेमंत गुप्ता व न्यायमूर्ति वी. राम सुब्रह्मण्यम की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि ‘यह मुद्दा महत्वपूर्ण है और इसका पूरे भारत में असर हो सकता है। हम नोटिस जारी करना और दूसरे पक्ष को सुनना चाहेंगे। जिस तरीके से कानून की व्याख्या की गई है उस पर संभवत: उच्चतम न्यायालय को गौर करने की आवश्यकता होगी इसलिए हम नोटिस जारी कर रहे हैं।’ इसी के साथ न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि 3 छात्र कार्यकत्र्ताओं को जमानत देने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को देश में अदालतें मिसाल के तौर पर दूसरे मामलों में ऐसी ही राहत के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा-‘दिल्ली में दंगों के दौरान 53 लोगों की मौत हुई और 700 से अधिक घायल हो गए। ये दंगे ऐसे समय में हुए जब अमरीका के राष्ट्रपति व अन्य प्रतिष्ठित लोग यहां आए हुए थे। उच्च न्यायालय ने व्यापक टिप्पणियां की हैं। छात्र कार्यकत्र्ता जमानत पर बाहर हैं, उन्हें बाहर रहने दीजिए लेकिन कृपया फैसले पर रोक लगाइए। उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाने के अपने मायने हैं।’ प्रदर्शन के अधिकार के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसलों के कुछ पैराग्राफ पढ़ते हुए मेहता ने कहा-‘अगर हम इस फैसले पर चलें तो पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या करने वाली महिला भी प्रदर्शन कर रही थी।’उच्च न्यायालय ने 15 जून को जे.एन.यू. की छात्राओं नताशा नरवाल व देवांगना कालिता तथा जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा को जमानत दे दी थी। उच्च न्यायालय ने 3 अलग-अलग फैसलों में छात्र कार्यकत्र्ताओं को जमानत देने से इंकार करने वाली निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था।

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