अलविदा मिल्खा सिंह: अधूरी रह गई 'फ्लाइंग सिख' की आखिरी ख्वाहिश

Edited By Anil dev,Updated: 19 Jun, 2021 12:26 PM

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भारत के महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार को निधन हो गया । इससे पहले उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था । पद्मश्री मिल्खा सिंह...

नेशनल डेस्क: भारत के महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार को निधन हो गया । इससे पहले उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था । पद्मश्री मिल्खा सिंह 91 वर्ष के थे।उनके परिवार में उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं । उनके परिवार के एक प्रवक्ता ने बताया ,‘‘उन्होंने रात 11 . 30 पर आखिरी सांस ली ।''

उनकी हालत शाम से ही खराब थी और बुखार के साथ आक्सीजन भी कम हो गई थी । वह यहां पीजीआईएमईआर के आईसीयू में भर्ती थे । उन्हें पिछले महीने कोरोना हुआ था और बुधवार को उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी । उन्हें जनरल आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था । गुरूवार की शाम से पहले उनकी हालत स्थिर हो गई थी । उनकी पत्नी 85 वर्षीय निर्मल का रविवार को एक निजी अस्पताल में निधन हुआ था । चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा हासिल किया था । उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे । उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया । उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था । 

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फ्लाइंग सिख मिल्खा की अंतिम ख्वाहिश रह गई अधूरी
व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत का नाम देश और दुनिया में ऊंचा करने वाले मिल्खा सिंह की एक ख्वाहिश अधूरी रह गई है। मिल्खा ने कहा था कि अब खुशी का वह लम्हा देखना चाहते हैं, जब कोई धावक ओलिम्पिक में पदक जीतकर आए। यही उनकी अंतिम ख्वाहिश है। विभाजन को फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह से भला और बेहतर कौन बता सकता था। ये वो माहौल था, जिसने पाकिस्तान में पैदा हुए एक सितारे को भारत की झोली में डाल दिया। मिल्खा सिंह ने बताया था कि बंटवारे के दौरान लोग एक-दूसरे से रोटियां छीनकर अपना पेट भरते थे। यह मंजर कहीं और का नहीं है, ये हालात मेरे ही देश भारत का था। जब लोग कुत्तों की तरह रोटियों पर झपट रहे थे तो ऐसे में 15 साल के एक सहमे हुए बच्चे के लिए रोटी हासिल करना आसान नहीं था। ऐसे हालात में एक बच्चे को कई दिन तक भूख से बिलखते हुए दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सोना पड़ा। पाकिस्तान से आने के बाद जीना बेहद दर्दनाक था। 

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मिल्खा सिंह का घटा था आक्सीजन का स्तर 
इससे पहले मिल्खा सिंह के स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए पीजीआईएमईआर अस्पताल ने कहा था कि शुक्रवार को उनका आक्सीजन स्तर गिर गया और उन्हें बुखार भी आ गया लेकिन वह स्वस्थ होने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। मिल्खा सिंह का कोविड-19 परीक्षण बुधवार को नेगेटिव आया था जिसके बाद उन्हें कोविड आईसीयू से सामान्य आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था और डाक्टरों की एक टीम उनके स्वास्थ्य पर नजर रख रही है। पीजीआईएमईआर के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा, ‘‘उन्हें गुरूवार की रात को अचानक बुखार आ गया और उनका आक्सीजन का स्तर भी गिर गया। डॉक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य पर नजर रखे है। '' इससे पहले उनकी हालत स्थिर थी।

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प्रधानमंत्री मोदी ने जताया मिल्खा सिंह के निधन पर शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के महान धावक मिल्खा सिंह के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत ने ऐसा महान खिलाड़ी खो दिया जिनके जीवन से उदीयमान खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलती रहेगी । मिल्खा सिंह का लगभग एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद आज चंडीगढ के पीजीआईएमईआर में निधन हो गया । वह 91 वर्ष के थे । मोदी ने ट्वीट किया ,‘‘ मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक महान खिलाड़ी को खो दिया जिनका असंख्य भारतीयों के ह्रदय में विशेष स्थान था । अपने प्रेरक व्यक्तित्व से वे लाखों के चहेते थे । मैं उनके निधन से आहत हूं ।'' उन्होंने आगे लिखा ,‘‘ मैने कुछ दिन पहले ही मिल्खा सिंह जी से बात की थी । मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बात होगी । उनके जीवन से कई उदीयमान खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी । उनके परिवार और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों को मेरी संवेदनायें ।'


 

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