Edited By Anil dev,Updated: 16 Jun, 2022 12:22 PM
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 10 देशों के प्रभावशाली समूह के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में बृहस्पतिवार को कहा कि भारत एक मजबूत, एकजुट, समृद्ध आसियान का समर्थन करता है, जिसकी हिंद-प्रशांत में केंद्रीयता को पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है।
नेशनल डेस्क: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 10 देशों के प्रभावशाली समूह के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में बृहस्पतिवार को कहा कि भारत एक मजबूत, एकजुट, समृद्ध आसियान का समर्थन करता है, जिसकी हिंद-प्रशांत में केंद्रीयता को पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है। जयशंकर ने दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बेहतर तरीके से एक-दूसरे से जुड़े भारत और आसियान विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण, लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिए अच्छी स्थिति में होंगे। दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है तथा भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत कई अन्य देश इसके संवाद साझेदार हैं।
कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और ‘‘जब हम महामारी के बाद बहाली की बात करते हैं'' तो काफी कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक प्रतिकूलताओं के कारण यह रास्ता और भी कठिन हो गया है, जिसका सामना हमें यूक्रेन के घटनाक्रम और इसके खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर पड़े प्रभाव के रूप में देखने को मिला है। इसके कारण उर्वरकों, सामान की कीमतों पर असर पड़ा तथा साजोसामान तथा आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आई है।'' जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत पर आसियान के नजरिए और भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल के बीच मजबूत संयोजन है तथा यह क्षेत्र के लिए दोनों पक्षों के साझा दृष्टिकोण का प्रमाण है।
उन्होंने कहा, ‘‘जिसका हम सामना करते हैं, उस पर भारत-आसियान संबंधों को प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए।'' उन्होंने कहा कि आसियान हमेशा क्षेत्रवाद, बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण के प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि आसियान ने अपने लिए सफलतापूर्वक एक जगह बना ली है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक एवं आर्थिक संरचना के लिए नींव तैयार की है। विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के समक्ष भू-राजनीतिक चुनौतियों व अनिश्चितताओं को देखते हुए आसियान की भूमिका पहले के मुकाबले आज संभवत: कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने कहा कि भारत और आसियान द्वारा मौजूदा पहलों को जल्द पूरा करते हुए नयी प्राथमिकताओं की पहचान करना महत्वपूर्ण है।