प्रदूषण पर SC की केजरीवाल सरकार को फटकार, कहा- जब बड़ों के लिए वर्क फ्राम होम है तो बच्चों के लिए क्यों खुला स्कूल?

Edited By Anil dev,Updated: 02 Dec, 2021 02:41 PM

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प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि प्रदूषण के बीच स्कूल क्यों खोले गए?  दिल्ली-नोएडा में प्रदूषण का कहर जारी है। दिल्ली में गुरुवार को भी हवा की गुणवत्ता ''बहुत खराब'' श्रेणी में रही।

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली और केंद्र सरकार को गुरुवार को फिर फटकार लगाई और कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि वो गंभीरतापूर्वक विचार कर वायु प्रदूषण स्तर कम करने का उपयुक्त उपाय करें तथा शुक्रवार सुबह 10 बजे तक उनके बारे में अवगत कराएं, अन्यथा वह कोई‘निर्देश'पारित करेगा। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने दिल्ली में स्कूलों खोले जाने पर नाराजगी व्यक्त की। इसके अलावा वायु प्रदूषण फैलाने वाले प्रमुख कारकों औद्योगिक इकाइयों और वाहनों पर पर्याप्त कारर्वाई नहीं किए जाने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।

Air pollution in Delhi-NCR: Supreme Court pulls up Delhi government for opening the schools amid the rising air pollution levels in the city.

SC asks Delhi government when the government implemented work from home for adults then why children are being forced to go to school pic.twitter.com/wl4Y7mhSqV

— ANI (@ANI) December 2, 2021

 

शीर्ष अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार के उन दावों को खारिज कर दिया जिनमें प्रदूषण कम करने के तमाम उपाय किए जाने के दावे किए गए हैं। अदालत ने सवालिया लहजे में कहा कि जब तमाम उपाय किए जा रहे हैं तो प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है। पीठ ने नौकरशाहों के कामकाज के तरीकों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किए ये। शीर्ष अदालत ने केंद्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और अन्य पक्षकारों से कहा, ‘‘हम आपको 24 घंटे का समय दे रहे हैं। हम चाहते हैं कि आप इस पर गंभीरता से विचार करें और इसका समाधान निकालें।'' मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य खंडपीठ ने कहा, ‘‘हम कल सुबह 10 बजे 30 मिनट के लिए सुनवाई कर सकते हैं। आप हमें प्रदूषण रोकने के उपायों के अगले चरणों के बारे में अवगत कराएं, अन्यथा हम कोई‘निर्देश'पारित करेंगे।'' शीर्ष अदालत ने खतरनाक प्रदूषण स्तर के बीच स्कूलों को खोलने की इजाजत पर गंभीर सवाल उठाए और इसके लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई की।

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मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली सरकार से पूछा कि प्रदूषण के मद्देनजर जब व्यस्कों को घर से काम करने की इजाजत है तो तीन-चार साल तक के बच्चों को स्कूल जाने पर मजबूर क्यों किया जा रहा है? इस पर दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विशेषज्ञों की राय पर स्कूल खोले गए हैं, जिसमें बताया था कि स्कूल नहीं जाने की वजह से बच्चों के सीखने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। इसपर अदालत ने फिर से पूछा कि प्रदूषण कम करने के उपायों का क्या हुआ? श्री सिंघवी ने कहा कि नवंबर में प्रदूषण फैलाने वाले 1500 वाहन जब्त किए गए हैं। सरकार के दावों से असंतुष्ट पीठ ने कहा कि हमें लगता है कि जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है, क्योंकि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हमें लगता है कि हम अपना समय बर्बाद कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि पर्यावरण के नाम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के प्रयास नजर आ रहे हैं।‘पर्यावरण बचाओ'के बैनर लेकर लोग सड़कों दिखाई देते हैं लेकिन प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। याचिकाकर्ता स्कूली छात्र आदित्य दुबे का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य जारी रहने पर एक बार फिर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर विकास नहीं हो सकता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम इंडिया गेट पर जाते हैं तो चारों ओर धूल उड़ रही होती है। ऐसे में निर्माण गतिविधियों पर अदालती रोक के आदेश का क्या मतलब हैं? उन्होंने कहा कि आज दिल्ली का वायु प्रदूषण स्तर 500 एक्यूआई है। पीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से हरियाणा में प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर कारर्वाई किए जाने पर सवाल पूछे।

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