किसानों की मांगों को रेखांकित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के कारण अराजक दृश्य पैदा हो गए। बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिले पर पहुंच गए और जमकर उपद्रव किया।
नेशनल डेस्क: ट्रैक्टर परेड जिसका मकसद किसानों की मांगों को रेखांकित करना था, वह राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई। हजारों की संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी किसान अवरोधक तोड़ते हुए लाल किला पहुंच गए और उसकी प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है। किसानों की मांगों को रेखांकित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के कारण अराजक दृश्य पैदा हो गए। बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिले पर पहुंच गए और जमकर उपद्रव किया। जहां इस हिंसा के बाद किसान नेता पर उंगली उठाई जा रही है वहीं बड़ा सवाल अब यह भी सामने आ रहा है कि क्या ये आंदोलन अब आगे चल पाएगा और अब आगे कि रणनीति क्या होगी।

सरकार बार बार किसानों को बातचीत के लिए बुला रही थी
पिछले दो महीने से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डरों पर शांतिपूर्ण चल रहे इस आदोंलन को जहां पूरी तरह से लोगों का साथ मिल रहा था। किसानों के सख्त तेवर के बावजूद भी सरकार बार बार किसानों को बातचीत के लिए बुला रही थी ताकि कोई हल निकल सके। लेकिन जिस तरह लाल किले से तस्वीरें आईं उससे पूरा देश स्तब्ध रह गया। ऐसा पहली बार हुआ कि देश की आन-बान-शान से जुड़ी लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रध्वज तिरंगे की जगह आंदोलनकारियों या किसी धार्मिक पहचान से जुड़ा झंडा लगाया गया हो। पूरे दिल्ली से ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जहां आंदोलन में शामिल लोग पुलिस को ही निशाना बनाते दिख रहे हैं। फिर चाहे वह आईटीओ हो या लाल किला। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर लाठी-डंडों और तलवार के दम पर पुलिसवालों को ही भगाना शुरू कर दिया। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार फिर से किसानों को बातचीत के लिए बुलाएगी।

किसान नेताओं ने झाड़ा पल्ला
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के पीछे कुछ असामाजिक तत्व थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की कार्रवाइयों के कारण कुछ असामाजिक तत्व परेड में शामिल हो गए और यह हिंसा का कारण बना । भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने एक बयान में यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने परेड के पहले से तय मार्गों के कुछ स्थानों पर गलत तरीके से बैरिकेड लगाए थे। वहीं योगेंद्र यादव ने लाल किले की घटना को शर्मनाक बताया है जबकि हन्नान मोल्लाह भी ट्रैक्टर रैली में बाहरी लोगों के शामिल होने की बात कर रहे हैं। बजट वाले दिन यानी एक फरवरी को किसानों को संसद तक पैदल मार्च करना था।

सरकार ने साधी चुप्पी, विपक्ष हुआ किनारे
इस आंदोलन के बाद जहां सरकार ने अब तक अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। बात-बात पर ट्विटर के जरिए अपनी राय व्यक्त करने वाले कद्दावर मंत्रियों का ट्विटर अकाउंट इस घटना पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। वहीं विपक्ष जो कल तक एकजुट होकर इस आंदोलन को सही करार दे कहा था वो आज लाल किले की घटना की निंदा कर रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बीच कृषि संबंधित तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है और इससे नुकसान देश का ही होता है। आाम आदमी पार्टी (आप) ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की कड़ी निंदा की आप ने एक बयान में कहा कि हिंसा ने आंदोलन को निश्चित रूप से कमजोर किया है, जो शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चल रहा था।
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