किसान आंदोलन: गाजीपुर बॉर्डर पर किसान ने की आत्महत्या, Suicide नोट में लिखा- शहादत बेकार ना जाए

Edited By Anil dev,Updated: 02 Jan, 2021 01:46 PM

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कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर किसान संगठनों का आंदोलन शनिवार को 38वें दिन भी जारी रहा।  विरोध के बीच एक किसान ने आत्महत्या कर ली है। दिल्ली सीमा के गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने धरनास्थल पर बने एक शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या की...

नेशनल डेस्क: कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर किसान संगठनों का आंदोलन शनिवार को 38वें दिन भी जारी रहा।  विरोध के बीच एक किसान ने आत्महत्या कर ली है। दिल्ली सीमा के गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने धरनास्थल पर बने एक शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या की है। मृत किसान का नाम कश्मीर सिंह है जो कि यूपी के रामपुर का निवासी बताया जा रहा है। 

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यूपी दिल्ली बॉर्डर पर किए जाए अंतिम संस्कार
किसान कश्मीर सिंह ने आत्महत्या से पहले एक कथित सूइसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर एक अपील भी लिखी है। आत्महत्या करने वाले किसान कश्मीर सिंह का जो कथित सुसाइड नोट बरामद हुआ है, उसमें उन्होंने लिखा है कि उनकी शहादत बेकार ना जाए। कश्मीर सिंह ने यह भी लिखा है कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली यूपी की सीमा पर ही किया जाए। हालांकि अभी तक आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है।  इसके अलावा मृतक कश्मीर सिंह ने अपनी अंतिम इच्छा भी लिखी है। सुसाइड से पहले कश्मीर सिंह ने लिखा कि यूपी दिल्ली बॉर्डर पर ही उसका अंतिम संस्कार किया जाए। 

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सिंघु बॉर्डर पर आज किसान नेता करेंगे बैठक 
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता आज सिंघु बॉर्डर पर बैठक करेंगे जिसमें सरकार के साथ होने वाली अगली बातचीत और आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। इसके बाद किसान नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और अपनी आगे की रणनीति और बैठक में क्या तय हुआ इसके बारे में बताएंगे। 

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26 नवंबर से किसानों ने डाला हुआ है डेरा
उल्लेखनीय है कि तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर स्थित गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर 26 नवंबर 2020 से ही किसान डेरा डाले हुए हैं। इसके साथ वे साथ-साथ न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। हालांकि सरकार ने उनकी चार प्रमुख मांगों में पराली दहन से संबंधित अध्यादेश के तहत भारी जुर्माना और जेल की सजा के प्रावधान से मुक्त करने और बिजली सब्सिडी से जुड़ी उनकी मांगों को बुधवार को हुई बैठक में मान ली है और अन्य दो मांगों पर किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच अगली दौर की वार्ता चार जनवरी को होगी। 

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आंदोलनकारी किसानों ने लोक गीत व खीर के साथ किया नववर्ष का स्वागत
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-नोएडा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शुक्रवार को नए साल का स्वागत अलाव, लोक गीत, खीर और अपने स्वास्थ्य की जांच के साथ की। भारतीय किसान यूनियन (भानू) और भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) के सदस्य दिसंबर के पहले सप्ताह से ही क्रमश: चिल्ला बोर्डर और दलित प्रेरणा स्थल पर डटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाले दोनों संगठन संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल नहीं हैं जिसके तहत 40 किसान संगठन नए कानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बोर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि दोनों संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा उठाए गए मुद्दों का समर्थन किया है। बीकेयू (लोक शक्ति) से जुड़े दर्जनों किसानों ने दलित प्रेरणा स्थल पर नए साल का स्वागत किया। उन्होंने भीषण सर्दी से बचने के लिए अलाव का सहारा लिया और लोक गीतों का आनंद लिया। 


 

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