चीफ ऑफ ब्रह्मकुमारी दादी गुलजार का निधन, छोटी सी उम्र में खुद को कर दिया था परमात्मा के हवाले

Edited By Anil dev,Updated: 11 Mar, 2021 06:31 PM

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जिंदगी को सहज और रूहानी तरीके से जीने का फलसफा देने वाली, चेहरे पर सदा मीठी मुस्कान और आंखों में परमात्मा के प्यार की चमक रखने वाली प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी जी उर्फ दादी गुलजार ने आज अपना...

नेशनल डेस्क: जिंदगी को सहज और रूहानी तरीके से जीने का फलसफा देने वाली, चेहरे पर सदा मीठी मुस्कान और आंखों में परमात्मा के प्यार की चमक रखने वाली प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी जी उर्फ दादी गुलजार ने आज अपना पार्थिव शरीर त्याग किया। शिवरात्रि के इस पावन अवसर पर दादी जी परमात्मा के गोद में समा गईं। लगभग 50 साल से भी ज्यादा समय से दादी जी ने परमात्मा के संदेश को विश्व में फैलाने का कार्य किया है। 

93 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस 
पिछले कुछ सालों से वे बीमार चल रहे थे और मुंबई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 93 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। 9 साल की उम्र में आध्यात्मिकता को अपने जीवन में उतारना और परमात्मा को पहचानने की अनुभूति करना, ये आसान नहीं था। दादी गुलजार ने छोटी सी उम्र में ही खुद को परमात्मा के हवाले कर दिया था और उसके बाद से चल पड़ा विश्व कल्याण का सिलसिला। जिनके जीवन में लेकिन शब्द की कोई जगह नहीं थी, जिन्होंने सदा मुस्कुराकर सिर्फ विश्व की सभी आत्माओं के कल्याण के बारे में सोचा, ऐसी दादी जी के नक्शे कदम पर चलना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि देना होगा।

सिर्फ भारत ही नहीं विदेशों में भी दिया परमात्मा के ज्ञान का परिचय
दादी गुलजार ने अपने नाम को पूरा सार्थक किया है, वे जहां भी जाती थीं वहां गुल खिलते थे। उनकी एक दृष्टि से ही जैसे लाखों आत्माओं को सुकून मिल जाता था। शांति और भगवान की अनुभूति की एक प्रतीक थीं दादी जी। कराची में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने पूरे विश्व को अपना घर समझा और खुदको परमात्मा के संदेश को फैलाने का एक जरिया। सिर्फ भारत ही नहीं उन्होंने विदेशों में भी परमात्मा के ज्ञान का परिचय दिया है। आज दादी जी के चले जाने से सबकी आंखें नम हैं, लेकिन उन्होंने लाखों आत्माओं के दिल में जो हिम्मत और स्नेह का चिराग जलाया है, वो हमेशा यूंही रोशन होता रहेगा। 

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