कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर बोले- उम्मीद है कि अगली बैठक में हल निकलेगा

Edited By Anil dev,Updated: 08 Jan, 2021 05:55 PM

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किसान संगठनों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर अड़े रहने के कारण शुक्रवार को फिर बेनतीजा रही। दोनों पक्ष हालांकि 15 जनवरी को फिर बातचीत करने पर राजी हो गए। बैठक शुरू होने से पहले कुछ किसान नेताओं ने कहा कि वे अपना...

नेशनल डेस्कः किसान संगठनों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर अड़े रहने के कारण शुक्रवार को फिर बेनतीजा रही। दोनों पक्ष हालांकि 15 जनवरी को फिर बातचीत करने पर राजी हो गए। बैठक शुरू होने से पहले कुछ किसान नेताओं ने कहा कि वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे और सरकार ने तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस नहीं लिया तो वे 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। दूसरी तरफ सरकार ने साफ कहा है कि कानूनों को वापस लेना संभव नहीं है। वहीं किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उम्मीद है कि अगली बैठक में हल निकलेगा। आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। सरकार की तरफ से कहा गया कि कानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला।


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उन्होंने कहा कि सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान यूनियन अगर क़ानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं। आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन क़ानूनों को वापिस लिया जाए। परन्तु देश में बहुत से लोग इन क़ानूनों के पक्ष में हैं। किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है। 

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खत्म हुई सरकार और किसान संगठनों की वार्ता, अगली बैठक 15 जनवरी को संभावित
 सरकार ओर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता बेनतीजा संपन्न हो हो गई। सूत्रों के मुताबिक अगली बैठक 15 जनवरी को हो सकती है। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े किसान नेताओं ने शुक्रवार को सरकार से दो टूक कहा कि उनकी ‘‘घर वापसी'' तभी होगी जब वह इन कानूनों को वापस लेगी। सरकार ने कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग खारिज करते हुए इसके विवादास्पद बिन्दुओं तक चर्चा सीमित रखने पर जोर दिया। सूत्रों ने बताया कि बैठक में वार्ता ज्यादा नहीं हो सकी और अगली तारीख उच्चतम न्यायालय में इस मामले में 11 जनवरी को होने वाली सुनवाई को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय किसान आंदोलन से जुड़े अन्य मुद्दों के अलावा तीनों कानूनों की वैधता पर भी विचार कर सकता है।

सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के 41 सदस्यीय प्रतिनिधियों के साथ आठवें दौर की वार्ता में सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया कि विभिन्न राज्यों के किसानों के एक बड़े समूह ने इन कानूनों का स्वागत किया है। सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि उन्हें पूरे देश का हित समझना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे थे। 
 

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