Edited By Anil dev,Updated: 22 Jan, 2021 06:41 PM
कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसानों के बीच अबतक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही हैं। ऐसे में साफ है कि अब दोनों पक्ष अपने स्थान से पीछे हटने को राजी होते नहीं दिख रहे हैं। वहीं मीडिया से बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह...
नेशनल डेस्क: कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसानों के बीच अबतक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही हैं। ऐसे में साफ है कि अब दोनों पक्ष अपने स्थान से पीछे हटने को राजी होते नहीं दिख रहे हैं। वहीं मीडिया से बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की ओर कानूनों को फिलहाल लागू नहीं करने का जो प्रस्ताव किसानों को दिया गया है, उससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि 11 बैठकों में 45 घंटे मंथन के बाद सरकार का सख्त, तोमर बोले- जो प्रस्ताव दिया उससे बेहतर कुछ नहीं।
तोमर ने कहा कि अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई; सरकार ने यूनियनों को दिए गए सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया, उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए। इस आंदोलन के दौरान लगातार ये कोशिश हुई कि जनता के बीच और किसानों के बीच गलतफहमियां फैलें। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग जो हर अच्छे काम का विरोध करने के आदि हो चुके हैं, वे किसानों के कंधे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर सकें।
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यूनियनों से कहा कि यदि किसान तीनों कृषि कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है। तोमर ने सहयोग के लिए यूनियनों को धन्यवाद दिया और कहा कि कानूनों में कोई समस्या नहीं है लेकिन सरकार ने किसानों के सम्मान के लिए इन कानूनों को स्थगित रखे जाने की पेशकश की।
सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की वार्ता समाप्त
वहीं सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच शुक्रवार को हुई 11वें दौर की वार्ता समाप्त हो गई है, लेकिन इसमें भी मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकल पाया। अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं हुई है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में सरकार ने यूनियनों को दिए गए सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया और उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में किसान नेता तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने की अपनी मांग पर अड़े रहे। किसान नेताओं ने कहा कि बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे।