पत्रकार दानिश की हत्या पर तालिबान का शर्मनाक बयान, कहा- उन्हें हमसे पूछकर आना चाहिए था

Edited By Anil dev,Updated: 21 Jul, 2021 05:40 PM

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: समाचार एजेंसी रॉयटर के लिए काम करने वाले पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी शुक्रवार को अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक ‘बॉर्डर क्रॉसिंग'' के पास अफगान सैनिकों और तालिबान

इंटरनेशनल डेस्क: समाचार एजेंसी रॉयटर के लिए काम करने वाले पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी शुक्रवार को अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक ‘बॉर्डर क्रॉसिंग' के पास अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भीषण लड़ाई की कवरेज करने के दौरान मारे गए। सिद्दीकी (38) अशांत कंधार क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से संघर्ष की कवरेज कर रहे थे।  दानिश की इस तरह हत्या के चौतरफा घिरी तालिबानी का अब शर्मनाक बयान आया है। इस मामले में उन्होंने  कहा कि अगर दानिश को वहां कवरेज के लिए आना था तो पहले पूछकर आते। 

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यहां आने से पहले हमसे संपर्क करें पत्रकार
दानिश के सिद्दीकी की हत्या के सवाल पर तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि हम अफगान पत्रकारों के संपर्क में हैं। अगर किसी पत्रकार को यहां आना है तो पहले हमसे संपर्क करे। उन्होंने कहा कि अगर दानिश को वहां कवरेज के लिए आना था तो उन्हें पहले तालिबान से इजाजत लेनी चाहिए थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि  हमने उन्हें (दानिश सिद्दीकी) नहीं मारा, वो दुश्मन सेना के साथ थे। तालिबान ने दावा किया कि दुश्मन सेना उन्हें बदनाम कर रही है। वो इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा रही है जबकि समूह सिर्फ कैंप और पोस्ट को निशाना बना रहा है ताकि दोबारा उनका इस्तेमाल ना किया जा सके। उन्होंने दावा किया कि तालिबान अस्पतालों और स्कूलों को टारगेट नहीं कर रहा है। 

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1992 से 2021 के बीच अफगानिस्तान में मारे गए कुल 53 पत्रकार
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के मुताबिक 1992 से 2021 के बीच अफगानिस्तान में कुल 53 पत्रकार मारे गये हैं। सिद्दीकी मुंबई में रहा करते थे। उन्हें रॉयटर के फोटोग्राफी स्टाफ के सदस्य के तौर पर पुलित्जर पुरस्कार मिला था। उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था और 2007 में जामिया के एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से जनसंचार की पढ़ाई की थी। वह 2010 में रॉयटर से जुड़े थे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत संवाददाता के तौर पर की थी, जिसके बाद वह फोटो पत्रकारिता में चले गये और 2010 में इंटर्न के तौर पर रॉयटर में शामिल हुए। उन्हें 2018 में फीचर फोटोग्राफी के लिए प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार मिला था। म्यामां के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय द्वारा सामना किये जाने वाली हिंसा को तस्वीरों में उतारने का काम करने को लेकर उन्हें अपने एक साथी फोटो पत्रकार अदनान आबिदी और पांच अन्य के साथ पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था।

उन्होंने अफगान संघर्ष, हांगकांग प्रदर्शन और एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में अन्य बड़ी घटनाओं को व्यापक रूप से कवर किया था।तालिबान को 2021 में अमेरिका नीत बलों ने सत्ता से बेदखल कर दिया था। अब अमेरिका अपने सैनिक अफगानिस्तान से हटा रहा है, ऐसे में तालिबान लड़ाके देश के विभिन्न हिस्सों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। अफगानिस्तान से अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों का बड़ा हिस्सा हटा लिये जाने पर पिछले हफ्तों में वहां सिलसिलेवार आतंकी हमले हुए हैं। अमेरिका ने 31 अगस्त तक अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी की समय सीमा निर्धारित की है। 

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