Edited By Anil dev,Updated: 01 Feb, 2021 01:04 PM
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया। आपको बतां दे कि एफआरबीएम एक्ट 2003 में लागू हुआ था जोकि यह राजकोषीय घाटे को कम करने के वास्ते सरकार के लिए...
नेशनल डेस्क: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया। आपको बतां दे कि एफआरबीएम एक्ट 2003 में लागू हुआ था जोकि यह राजकोषीय घाटे को कम करने के वास्ते सरकार के लिए लक्ष्य तय करता है।
एन.के. सिंह की अध्यक्षता में समिति का किया गया गठन
जानकारी मुताबिक मई, 2016 में सरकार ने एन.के. सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। यह समिति एफआरबीएम एक्ट की समीक्षा के लिए बनाई गई थी। इस समिति ने सुझाव दिया कि सरकार को राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 फीसदी पर रखना चाहिए। 31 मार्च, 2020 तक यह लक्ष्य बनाए रखना चाहिए। 2020-21 में इसे घटाकर 2.8 फीसदी पर लाना चाहिए। 2023 तक इसे और कम करके 2.5 फीसदी तक पहुंचाना चाहिए।
जेटली ने रखा राजकोषीय घाटे का 4.1 फीसदी रखा लक्ष्य
वहीं अगर बजट 2017 की बात करें तो तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 3 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को टाल दिया था। इसके लिए उन्होंने एन.के. सिंह कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया था। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने लक्ष्य को टालने के लिए सरकार की खिंचाई की थी। उनका कहना था कि यह काम एक्ट में संशोधन के जरिए करना था। वित्त वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा बढ़कर 5.7 फीसदी तक पहुंच गया। तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटे का 4.1 फीसदी का लक्ष्य रखा था।