bye bye 2020: कोविड-19 महामारी, भूकंप, सीमा विवाद से जूझता रहा मिजोरम

Edited By Ali jaffery,Updated: 31 Dec, 2020 12:24 PM

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साल 2020 मिजोरम के लिए संकटों से भरा रहा। कोविड​​-19 महामारी ने सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया, तो वहीं भूकंप और सीमा विवाद समेत कई घटनाओं ने राज्य को परेशान किया, हालांकि इन सब के बीच एक राहत की बात यह रही कि सरकार दशकों पुराने ब्रू समुदाय के...

नेशनल डेस्क: साल 2020 मिजोरम के लिए संकटों से भरा रहा। कोविड​​-19 महामारी ने सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया, तो वहीं भूकंप और सीमा विवाद समेत कई घटनाओं ने राज्य को परेशान किया, हालांकि इन सब के बीच एक राहत की बात यह रही कि सरकार दशकों पुराने ब्रू समुदाय के मामले को सुलझाने में कामयाब रही। मिजोरम में 24 मार्च को कोविड​​-19 का पहला मामला सामने आया और 28 अक्टूबर को बीमारी से पहली मृत्यु हुई, लेकिन सरकार ने चर्चों और नागरिक समाज के साथ मिलकर महामारी को काबू में करने और मिजोरम को देश के सबसे कम प्रभावित राज्यों में से एक बनाने में कामयाबी हासिल की। असम के साथ एक अंतरराज्यीय सीमा विवाद ने हालांकि सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की, जब करीमगंज जिले के अधिकारियों ने नौ अगस्त को पश्चिम मिजोरम के ममित जिले में थिंगलुन गांव के पास खेत में बनी एक झोपड़ी में कथित तौर पर आग लगा दी थी और एक विवादित भूमि पर वृक्षारोपण को नुकसान पहुंचाया था। 

कुछ ही दिन बाद, 17 अगस्त को असम के कछार जिले से सटी मिजोरम की सीमा पर वैरेंगते गांव के पास एक हिंसक झड़प हुई, जिस दौरान लोगों के एक समूह ने राष्ट्रीय राजमार्ग -306 के पास पड़ोसी राज्य के लैलापुर गांव के निवासियों की बांस की झोपडिय़ों और स्टालों को आग लगा दी। राज्य के कम से कम सात लोग और असम के कुछ लोग इस झड़प में घायल हो गए, जिससे केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। वैरेंगते में 48 वर्षीय असम निवासी की रहस्यमय मौत और असम के दो स्कूलों में बम विस्फोट के बाद तनाव और बढ़ गया था। प्रदर्शनकारियों ने असम के कछार जिले के साथ मिजोरम को जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-306 को अवरुद्ध कर दिया, जिससे पहाड़ी राज्य को तेल और रसोई गैस का आयात मणिपुर से कराना पड़ा। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित होने और सीमा के दोनों ओर केंद्रीय बलों को तैनात किए जाने के बाद स्थिति को अंतत: नवंबर में नियंत्रण में लिया गया। मिजोरम, असम के साथ 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। 

इससे पहले भूकंप की कई घटनाओं ने राज्य को हिला कर रख दिया, जिससे कई लोगों को घरों के बाहर अस्थायी टेंट में रात बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा। चंपई जिले में अधिकतम नुकसान हुआ। यहां 280 से अधिक घर नष्ट हो गए, जिससे 316.35 लाख रुपये का नुकसान हुआ और राज्य सरकार को केंद्र की मदद लेनी पड़ी। इस वर्ष मिजोरम और त्रिपुरा के निवासियों के बीच भी विवाद देखने को मिला, जब त्रिपुरा के संगठन ने एक ऐसे स्थान पर मंदिर बनाने का प्रयास किया, जिसपर दोनों राज्य दावा करते रहे हैं। मिजोरम सरकार ने विवादित स्थल पर निषेधाज्ञा लागू कर दी, जिसके बाद संगठन ने मंदिर बनाने के अपने फैसले को वापस ले लिया। इन सभी बुरी ख़बरों के बीच, मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा की अगुवाई वाली एमएनएफ सरकार ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जब दो दशक पुराने ब्रू गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार ने एक समझौता किया। इस कदम की विभिन्न राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों ने सराहना की। 

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