Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Aug, 2018 07:55 AM
उद्योगपति और कुरुक्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल इस बात को लेकर भारी दबाव में हैं कि क्या वह अपनी परम्परागत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें या फिर बाहर हो जाएं। कांग्रेस नेतृत्व ने संकेत दिया है कि वह नवीन जिंदल को लोकसभा चुनावों के दौरान इस...
नेशनल डेस्कः उद्योगपति और कुरुक्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल इस बात को लेकर भारी दबाव में हैं कि क्या वह अपनी परम्परागत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें या फिर बाहर हो जाएं। कांग्रेस नेतृत्व ने संकेत दिया है कि वह नवीन जिंदल को लोकसभा चुनावों के दौरान इस सीट से फिर से मनोनीत करने की इच्छुक है। कहने की जरूरत नहीं कि पार्टी इस मामले में कोई दया नहीं दिखा रही क्योंकि भाजपा के खिलाफ 2014 में हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में नवीन की हार का अंतर सबसे कम था। राज्य में केवल दीपेन्द्र हुड्डा ही अपनी सीट पर जीत प्राप्त कर सके थे। अब यह चर्चा है कि समूचा जिंदल परिवार नवीन जिंदल के फिर से चुनावी अखाड़े में उतरने के खिलाफ है।
परिवार चाहता है कि वह अपने कारोबार, सोनीपत में जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय और अन्य गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित करें। नवीन की माता सावित्री देवी जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन भी हैं। बताया जाता है कि वह इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं जबकि परिवार के अन्य सदस्य चाहते हैं कि जिंदल राजनीति से दूर रहें। उनका कहना है कि वह कारोबार पर ध्यान दें। राजनीति में फिर से सक्रिय होने से कोई अर्थपूर्ण मकसद पूरा नहीं होगा।
अगर वह राजनीति में नहीं होते तो कोयला संबंधी आरोप उन पर नहीं लगते, दूसरा कारण यह है कि नवीन के बड़े भाई साजन जिंदल ने हमेशा ही उनकी मदद की, जब कभी वह मुसीबत में रहे। नवीन ने पहले ही जी.टी.वी. के सुभाष चंद्रा के साथ अपने मतभेद दूर कर लिए हैं जो राज्यसभा के सदस्य हैं यद्यपि वह भाजपा नेतृत्व के करीबी हैं मगर वह निर्दलीय सांसद हैं।