निशाना नहीं चूकता तो कारगिल युद्ध में मारे जाते नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ!

Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Jul, 2018 01:06 PM

nawaz sharif and parvez musharraf were killed in kargil war

आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस पर भारतीय जवानों की शहादत को सलाम कर रहा है। कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और ताकत का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर हिन्दुस्तानी आज भी गर्व करता है। भारत-पाकिसतान के बीच कारगिल पर 60 दिनों से ज्यादा चले

नई दिल्लीः आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस पर भारतीय जवानों की शहादत को सलाम कर रहा है। कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और ताकत का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर हिन्दुस्तानी आज भी गर्व करता है। भारत-पाकिसतान के बीच कारगिल पर 60 दिनों से ज्यादा चले इस युद्ध का अंत 26 जुलाई, 1999 को ही हुआ। इस युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हुए और करीब 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे। भारतीय सेना की वीरता के आगे पाकिस्तानी सैनिकों ने भी घुटने टेक दिए थे। कारगिल युद्ध का जिक्र हो और परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ का नाम न आए ऐसा कैसे हो सकता है। कारगिल युद्ध ने जहां पाकिस्तान में राजनीति उलटफेर कर दिया था वहीं अगर वायु सेना का निशाना नहीं चूकता तो तब पाकिस्तान के यह दोनों बड़े नेता आज दुनिया में नहीं होते। 
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हो सकती थी मुशर्रफ और शरीफ की मौत
कारगिल युद्ध में थल सेना की वायु सेना भी मदद कर रही थी। कारगिल युद्ध पर 2016 में आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था अगर वायुसेना का निशाना सटीक लगता तो मुशर्रफ और शरीफ की मौत निश्चित थी। 24 जून, 1999 को सुबह करीब 8.45 पर भारतीय सेना विजय का झंडा लहराने के लिए आगे बढ़ रही थी, वायु सेना भी आसमान से दुश्मनों के बंकर तबाह कर रही थी। भारतीय वायुसेना ने जुगआर लड़ाकू विमान से पाकिस्तान के “लेजर गाइडेड सिस्टम” उड़ाने का फैसला किया। इसके लिए दो लड़ाकू विमान भेजे गए। एक जो पाकिस्तान के सिस्टम को तबाह करेगा और दूसरा इसलिए कि बंकर को पूरी तरह से ध्वस्त करने के लिए एक और अटैक।  
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पाक खेमे में मौजूद थे नवाज और मुशर्रफ
जगुआर एसीएलडीएस ने प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा। पायलट ने एलओसी के पार गुलटेरी को लेजर बॉस्केट में चिह्नित किया लेकिन उसका निशाना चूक गया और बम  “लेजर बॉस्केट” से बाहर गिरा दिया। इससे पाकिस्तानी ठिकाना बच गया। वहीं बाद में यह भी बताया गया था कि एक एयर कमाडोर जो उस समय एक उड़ान में थे, उन्होंने पायलट को बम नहीं गिराने का निर्देश दिया, जिसके बाद बम को एलओसी के निकट भारतीय इलाके में गिरा दिया गया क्योंकि गुलटेरी पाक सीमा के भीतर था और हमला नियम विरुद्ध होता। उस समय वहां नवाज और मुशर्रफ भी मौजूद थे लेकिन भारतीय वायुसेना इस बात से अनजान थी। 2016 में जो रिपोर्ट आई थी उसमें भारत सरकार की तरफ से मोटे अक्षरों में लिखा हुआ था कि इस बात की पुष्टि बाद में हुई थी कि हमले के समय पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ  गुलटेरी ठिकाने में मौजूद थे। दरअसल गुलटेरी पाक सेना का अग्रिम सैन्य ठिकाना था जहां से वे अपने सैनिकों को साजो -सामान भेज रहे थे। गुलटेरी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एलओसी से नौ किलोमीटर अंदर है। तब पाकिस्तानी मीडिया में भी खबरें लगी थीं कि 24 जून को शरीफ गुलटेरी ठिकाने पर गए थे।

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