एनसीपी नेता ने कहा- शरद पवार का 'अधूरा सपना हो' सकता है पूरा

Edited By Yaspal,Updated: 12 Dec, 2020 07:09 PM

ncp leader said sharad pawar s  unfinished dream may be fulfilled

एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने शनिवार को दावा किया कि पार्टी प्रमुख शरद पवार 1990 के दशक में जब कांग्रेस में थे, उस दौरान अपने खिलाफ ‘दरबारी राजनीति'' के कारण वह दो मौकों पर प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे। पटेल ने पवार के 80वें जन्मदिन के मौके...

मुंबईः एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने शनिवार को दावा किया कि पार्टी प्रमुख शरद पवार 1990 के दशक में जब कांग्रेस में थे, उस दौरान अपने खिलाफ ‘दरबारी राजनीति' के कारण वह दो मौकों पर प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे। पटेल ने पवार के 80वें जन्मदिन के मौके पर कहा कि यह "अधूरा सपना पूरा हो सकता है।''

पटेल ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित अपने एक आलेख में लिखा, ‘‘ पवार ने बहुत कम समय में कांग्रेस में अग्रिम पंक्ति के नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी। वह 1991 और 1996 में प्रधानमंत्री की भूमिका के लिए निश्चित रूप से स्वाभाविक उम्मीदवार थे। लेकिन दिल्ली की दरबारी राजनीति (भाई-भतीजावाद) ने इसमें अवरोध पैदा करने की कोशिश की। निश्चित रूप से यह न केवल उनके लिए एक व्यक्तिगत क्षति थी, बल्कि उससे भी ज्यादा पार्टी और देश के लिए क्षति थी।''

पटेल ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस के 'दरबार' का एक तबका' प्रभावशाली नेताओं को कमजोर करने के लिए राज्य इकाइयों में विद्रोहों को बढ़ावा देता था। इस लेख के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि "पवार दो मौकों पर प्रधानमंत्री बनने से चूक गए... बनते बनते रह गए ... अब, अगर पूरा महाराष्ट्र उनके साथ खड़ा होता है, तो हमारा अधूरा सपना पूरा हो सकता है।'' वह पवार के जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद बोल रहे थे।

एनसीपी महासचिव ने कहा कि उन्होंने लेख में जो लिखा है, ‘‘वह हमने तब देखा था, जब हम कांग्रेस के साथ थे।'' संपर्क किए जाने पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पवार वर्ष 1986 में कांग्रेस में फिर से शामिल हुए थे और दिल्ली में उनकी छवि यह थी कि वह एक निष्ठावान कांग्रेसी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पवार ने 1978 में भी पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया था। कांग्रेस नेता ने हालांकि पटेल के लेख पर टिप्पणी करने करने से इनकार कर दिया।

पटेल ने अपने लेख में कहा कि राजीव गांधी की मृत्यु (1991 में हत्या) के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मजबूत धारणा थी कि पवार को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘'लेकिन दरबारी राजनीति ने एक मजबूत नेता के विचार का विरोध किया और पीवी नरसिंह राव को पार्टी प्रमुख बनाने की योजना बनायी। राव बीमार थे और उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा था। वह सेवानिवृत्त होकर हैदराबाद में रहने की योजना बना रहे थे। लेकिन उन्हें राजी किया गया और सिर्फ पवार की उम्मीदवारी का विरोध करने के लिए उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।''

 

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