Edited By Anil dev,Updated: 14 Oct, 2020 10:47 AM
हवा की धीमी रफ्तार, धूल, पराली के धुएं के अलावा अब दिल्ली एनसीआर में कोहरे का अभी असर दिखने लगा है। हांलाकि अभी यह मामूली ही है, लेकिन मौसम में इसका असर दिखा कि पहली बार हवा की गुणवत्ता सबसे ज्यादा प्रदूषित दर्ज की गई। हवा की गुणवत्ता मंगलवार सुबह...
नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): हवा की धीमी रफ्तार, धूल, पराली के धुएं के अलावा अब दिल्ली एनसीआर में कोहरे का अभी असर दिखने लगा है। हांलाकि अभी यह मामूली ही है, लेकिन मौसम में इसका असर दिखा कि पहली बार हवा की गुणवत्ता सबसे ज्यादा प्रदूषित दर्ज की गई। हवा की गुणवत्ता मंगलवार सुबह 304 से अधिक रही, जबकि 24 घंटे की औसत 300 दर्ज की गई। दिल्ली के अलग-अलग तीन दर्जन निगरानी केंद्रों में लगभग दो दर्जन केंद्र भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बता रहे थे।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिकों के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान बॉर्डर पर बसे गांवों के खेतों में पराली जलाने की घटना लगातार बढ़ रही है और बीती रात 675 जगहों पर आग जलती दिखाई दीं। नासा द्वारा ली गई तस्वीरों के मुताबिक, पंजाब के अमृतसर और फिरोजपुर और हरियाणा के पटियाला, अंबाला और कैथल के पास बड़े पैमाने पर आग जलती हुई दिखाई दी। दिल्ली के वजीरपुर में एक्यूआई 380, द्वारका सेक्टर-8-360, विवेक विहार में 355 और जहांगीरपुरी में 349 रही, जहां सबसे अधिक प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वैज्ञानिक बताते हैं कि हवा की गुणवत्ता में गिरावट का कारण हवा की कम गति और कम तापमान हो सकता है जिसके चलते हवा में प्रदूषक तत्व जमा होने लगे हैं। पड़ोसी राज्यों में भी पराली जलाने की घटना बढ़ गई है। इसके अलावा, वेंटिलेशन इंडेक्स कम है। बता दें कि वेंटिलेशन इंडेक्स वह गति है जिस पर प्रदूषक पदार्थ फैल सकते हैं। हवा की 10 किमी प्रति घंटे से कम की औसत गति के साथ 6000 वर्गमीटर प्रति सेकंड से कम का वेंटिलेशन इंडेक्स प्रदूषकों के बिखरने के लिए प्रतिकूल होता है। जबकि मौसम विभाग ने मंगलवार सुबह हवा की अधिकतम गति चार किलोमीटर प्रति घंटा रही।
सीपीसीबी के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर सुबह नौ बजे 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। जबकि 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे पीएम10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है। जबकि पीएम2.5 का स्तर 129 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जो कि 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक सुरक्षित माना जाता है। दूसरी तरफ विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है कि दिल्ली-एनसीआर में हवा की खराब गुणवत्ता के चलते वायु प्रदूषण बढऩे से कोरोना महामारी और बढ़ सकती है। एप्का चेयरेमैन भूरेलाल ने हरियाणा सरकार को आगाह किया कि जीआरएपी को लागू करें और सुनिश्चित करें कि आवश्यक सेवाओं के अलावा कामर्शियल, इंडस्ट्रियल, आवासीय इलाकों में जेनरेटर बंद किए जाएं, सभी कालोनियों से संबंधित मुद्दों को भी हल किया जाए। दरअसल फरीदबाद, गुडग़ांव में ऐसे करीबन 2200 मामले हैं जहां बिजली कनेक्शन नहीं हैं। इसमें कई पॉश कालेानियां, फ्लैट्स सोसायटी हैं और हरियाणा के अतिरिक्त सचिव ने एप्का से कहा है कि इन्हें भी सूचित कर दिया गया है।