2019 लोकसभा चुनाव: NDA की हार तय,7 राज्यों की 301 सीटों पर भारी पड़ेगा महागठबंधन!

Edited By Anil dev,Updated: 15 Dec, 2018 08:52 PM

nda bjp congres bsp maharashtra

2018 का साल चुनावों के लिहाज से बीजेपी के लिए सही नहीं गुजरा है। 2019 का सेमीफाइनल कहे जाने वाले पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ़ हो गया। इस साल हुए 9 विधानसभा चुनावों में बीजेपी सिर्फ त्रिपुरा ही जीत पाई है।

नई दिल्ली: (मनीष शर्मा ): 2018 का साल चुनावों के लिहाज से बीजेपी के लिए सही नहीं गुजरा है। 2019 का सेमीफाइनल कहे जाने वाले पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ़ हो गया। इस साल हुए 9 विधानसभा चुनावों में बीजेपी सिर्फ त्रिपुरा ही जीत पाई है। 13 संसदीय उपचुनावों में सिर्फ 2 और 10 विधानसभा उपचुनावों में सिर्फ एक सीट पर बीजेपी को जीत हासिल हुई है। वहीँ कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन कर राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी भाषी राज्यों में वापसी कर महागठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। देश के सात राज्यों में भाजपा विरोधी मोर्चे ने आकार लेना शुरू कर दिया है। 10 दिसंबर को टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू के बुलावे पर एक बार फिर  महागठबंधन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।

7   राज्यों में महागठबंधन की नई तस्वीर

1.  उत्तर प्रदेश - 80  लोक सभा सीट - सपा,बसपा और कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल।

2. महाराष्ट्र- 48 लोकसभा सीट-एनसीपी, कांग्रेस, बसपा, बहुजन विकास अगाड़ी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अंबेडकर और गवई)।

3. पश्चिम बंगाल- 42  लोकसभा सीट- टीएमसी और कांग्रेस।

4 . बिहार- 40 लोकसभा सीट - राजद, कांग्रेस, बसपा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, एनसीपी।

5. तमिल नाडु - 38 लोकसभा सीट- डीएमके, कांग्रेस।

6. कर्नाटक- 28  लोकसभा सीट- कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर।

7. आंध्र प्रदेश - 25  लोकसभा सीट - कांग्रेस और टीडीपी।


इन 7 राज्यों में लोकसभा की कुल सीट 301 है।  यही 7  राज्य फैसला करेंगे कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी। जीत किसकी होगी यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन भूतकाल में दलों की प्रदर्शन से  हम यह अंदाजा तो लगा ही सकते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों में  इन राज्यों में महागठबंधन और एनडीए की स्थिति क्या होगी ?

1.उत्तर प्रदेश (80 सीट)
2014 का वोट शेयर: बीजेपी= 42.63%, अपना दल=0.67%, सपा=22.35%, कांग्रेस=7.53%, बसपा=19.77%, राष्ट्रिय लोक दल=0.86%

2014 के वोट शेयर को देखें तो एनडीए को 43.3 वोट मिले वहीँ महागठबंधन को 50.51% वोट मिले। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी , राष्ट्रिय लोक दल और कांग्रेस को महागठबंधन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसका नतीजा उन्हें अनुकूल भी मिला। कैराना, गोरखपुर और फूलपुर चुनावों में उन्हें जीत मिली। लेकिन मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में सपा और बसपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया था। छत्तीसगढ़ में बसपा ने अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ गठबंधन किया । हालांकि कांग्रेस की तीनों राज्यों में सरकार बनने के बाद सपा और बसपा को  फिर से कांग्रेस के साथ जुड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा । 2019 में कौन सी पार्टी बढ़े भाई की भूमिका निभाएगी इस पर विवाद हो सकता है। फिलहाल बढ़े भाई के लिए पिछले आंकड़े सपा के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। बीजेपी, अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के  बीच गठबंधन जारी रह सकता है । हालांकि कुछ समय से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर बीजेपी खासकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना कर रहे हैं।2017  के विधानसभा सभा चुनाव में भले ही बीजेपी को ज़बरदस्त जीत हासिल हुई हो लेकिन उसका वोट शेयर 2014 के 42. 63 फीसद से घटकर 41. 57  फीसद ही रह गया।

2. महाराष्ट्र (48 सीट )
2014 का वोट शेयर : बीजेपी= 27.56%, शिवसेना=20.82%, कांग्रेस=18.29%, एनसीपी= 16.12%, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन=0.14%, बसपा=2.63%

उपसभापति के चुनाव में शिवसेना ने भले ही एनडीए के उम्मीदवार के समर्थन में वोट दिया हो लेकिन अगर उम्मीदवार बीजेपी का होता तो तस्वीर दूसरी होती। बीजेपी और शिवसेना के बीच तनाव सार्वजानिक है। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी शिवसेना ने जिस तरह से सदन से बाहर रहने का फैसला किया वो दोनों दलों के रिश्तों में कड़वाहट को दिखाने वाला था। हाल ही में हुए पालघर उपचुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग अलग लड़ी थीं जिसमे जीत बीजेपी की हुई थी।  शिवसेना ने घोषणा कर दी है कि 2019 का चुनाव वो अकेले लड़ेगी।  2014 के वोट शेयर में नज़र मारें तो कांग्रेस, बसपा और एनसीपी गठबंधन का वोट शेयर 37.04 बीजेपी के वोट शेयर 27.56% से कहीं ज़्यादा है।  एनसीपी-कांग्रेस-बसपा के साथ, बहुजन विकास अगाड़ी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अंबेडकर और गवई) जैसे दल आ सकते हैं।  स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने पिछले लोकसभा चुनाव में 1 सीट जीती थी। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने शिवसेना को पेशकश की है कि शिवसेना एनडीए का साथ छोड़ देती है तो वह शिवसेना के  साथ गठबंधन बनाने के लिए तैयार है। बीजेपी अपना गठबंधन रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया (अठावले) के साथ कायम रख सकती है।  महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना वोट काटने का काम करेगी।

3. पश्चिम बंगाल: 42 सीट
2014 का वोट शेयर: तृणमूल कांग्रेस= 39.79%, कांग्रेस= 9.69%, बीजेपी=17.02%, लेफ्ट =25.32%, बसपा=0.49%

पश्चिम बंगाल की राजनीति में वामपंथी विचारधारा हमेशा से हावी रही है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी उसी विचारधारा से जुडी हुई है। 2014 में कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ गठबंधन किया था। अब की परिस्थिति दूसरी है। कांग्रेस ने इस बार बसपा और तृणमूल कांग्रेस को चुना है। हालाँकि  टीएमसी को चुनने से   सीटों का बड़ा शेयर टीएमसी के पास ही जायेगा।  बंगाल की राजनीति  में बीजेपी ने नया नया कदम रखा है पर उसे कमज़ोर आंकना भूल होगा । हाल ही के निकाय चुनावों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था और वह दूसरे  नंबर पर रही थी।  बीजेपी अपना गठबंधन गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और कामतापुर पीपल पार्टी के साथ कायम रख सकती है।

4. बिहार: 40 सीट
2014 का वोट शेयर: बीजेपी =29.86%, जेडीयू=16.04%, एलजेपी: 6.50%, कांग्रेस=8.56%, एनसीपी=1.22%, राजद=20.46%, बसपा=2.17%

बिहार में चुनाव दिलचस्प होगा। 2014 में बीजेपी और जेडीयू के बीच मतभेद हो गया था जिसपर जेडीयू ने 17 साल से चला आ रहा गठबंधन तोड़ दिया था लेकिन इसका नुक्सान जेडीयू को उठाना पड़ा उसे लोकसभा में सिर्फ 2  सीट ही मिल पाई ।  2014 के वोट शेयर के आंकड़ों को देखते हुए 2015 बिहार  विधानसभा चुनाव में जेडीयू, राजद और कांग्रेस साथ आये और बहुमत के साथ जीत प्राप्त की।  लेकिन नीतीश कुमार को महागठबंधन  रास नहीं आया और सरकार गिरा दी। नीतीश कुमार  फिर से एनडीए के साथ जुड़ बिहार में दोबारा सरकार बना दी। 10 दिसंबर 2018 को  राष्ट्रिय लोकसमता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा  एनडीए का दामन छोड़ महागठबंधन से जुड़ गए है। कम सीट मिलने के कारण उन्होंने एनडीए से किनारा किया। अब बिहार में  कांग्रेस, राजद, एनसीपी, बसपा और राष्ट्रिय लोकसमता पार्टी  का महागठबंधन  है।  मुजफ्फरपुर शेल्टर काण्ड और हाल ही में राज्य में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति के चलते नीतीश सरकार की खूब आलोचना हो रही है। 2014  में  महागठबंधन का वोट शेयर 32.41% एनडीए के वोट शेयर 52.40% से भले ही कम  है लेकिन  यह  नहीं भूलना चाहिए कि जेडीयू 2014 में महागठबंधन का हिस्सा थी।  बिहार में बीजेपी का गठबंधन जेडीयू, लोजपा  के साथ रहेगा।

7. तमिल नाडु=38 सीट
2014 के वोट शेयर: एआईडीएमके= 44.92%, डीएमके= 23.91, बीजेपी=5.53%, कांग्रेस=4.36%


तमिल नाडु की राजनीति हमेशा से द्विध्रुवी रही है। पिछले तीस साल से करूणानिधि और जयललिता ही तमिल राजनीति का चेहरा बने हुए थे। 2016 में एआईडीएमके अध्यक्ष जयललिता का निधन हो गया और अब डीएमके प्रमुख करुणानिधि हमारे बीच नहीं रहे। एआईडीएमके और डीएमके इस समय टूट के कगार पर हैं।  केंद्र में एआईडीएमके बीजेपी के साथ है तो  डीएमके कांग्रेस के साथ।  2019 का चुनाव बिलकुल भिन्न होगा। रजनीकांत और कमलहासन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कमल हासन का झुकाव कांग्रेस की तरफ है तो रजनीकांत बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं। जयललिता के बिना एआईडीएमके को उतना वोट शेयर नहीं मिलेगा जितना 2014 के लोकसभा चुनाव में मिला था।

6. कर्नाटक: 28 सीट
2014 का वोट शेयर: बीजेपी=43.37%, कांग्रेस= 41.14%, जनता दल सेक्युलर=11.07%, बसपा=0. 86 %, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)= 0. 14 %

कर्नाटक में गठबंधन के फॉर्मूले से राज्य की  सत्ता तक पहुंची जेडीएस और कांग्रेस ने 2019 के चुनावों में भी हाथ मिलाने का फैसला कर लिया है। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर, बसपा और एनसीपी मिलकर लड़ेंगी।मई  2018 में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस ने सरकार बनाई। 2014 का वोट शेयर देखें तो महागठबंधन का वोट शेयर 53.21 % बीजेपी के 43. 37 से ज़्यादा है। इस साल बीजेपी शिवमोगा की संसदीय सीट ही जीत पाई है। बेल्लारी की संसदीय और आरआर नगर, जामखंडी  और जयनगर के विधान सभा उप चुनावों में  कांग्रेस  ने  जीत हासिल  की है।

8. आंध्र प्रदेश: 25 सीट
2014 के वोट शेयर : टीडीपी=29.36%, टीआरएस=14.03%, बीजेपी=8.52 कांग्रेस=11.62%


16 मार्च 2018 को  टीडीपी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य को विशेष दर्जा न मिल पाने के कारण एनडीए को छोड़ दिया । जुलाई में टीडीपी के सांसद एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए थे  और उपसभापति के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद का समर्थन किया था। टीडीपी अब महागठबंधन का हिस्सा है और टीआरएस अपने दम पर अगला लोकसभा चुनाव लड़ेगी। 2014  के वोट शेयर भी महागठबंधन के पक्ष में हैं। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!