मिशन 2019 में बीजेपी को इन 'जयचंदों' से होगा खतरा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Mar, 2018 08:43 PM

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2019 की तैयारी में सभी राजनीतिक दलों ने सियासी खेमाबंदी शुरू कर दी है। इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम बीजेपी का आता है, क्योंकि यही सत्तारुढ़ पार्टी है। भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान द्वारा 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 से भी अच्छा प्रदर्शन दोहराने...

नेशनल डेस्क (आशीष पाण्डेय): 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी में सभी राजनीतिक दलों ने खेमेबंदी शुरू कर दी है। इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम सत्तारुढ़ पार्टी बीजेपी का नाम आता है। बीजेपी के आलाकमान द्वारा 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 से भी अच्छा प्रदर्शन दोहराने के दावे किए जा रहे हैं। पार्टी इसके लिए गहन मंथन भी कर रही है। लेकिन पार्टी की इस तैयारी पर उसके ही कुछ तथाकथित जयचंद पानी फेरने पर आमदा है। इसमें दो राय नहीं है कि बीजेपी के मिशन 2019 की सबसे बड़ी चुनौती उसके अपने सांसद व सहयोगी दल ही बनते नजर जा रहे हैं। जिसका नतीजा यह है कि राज्यों में बीजेपी की छवि पर बट्टा लग रहा है साथ ही कार्यकर्ताओं में भी असंतोष बढ़ता जा रहा है।
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यूपी में बढ़ती रार से होगी मुश्किल
यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं। 2014 के चुनाव में बीजेपी को 71 और उसके सहयोगी अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली थी। अब यहां एसपी बीएसपी के नजदीक आने से समीकरणों का पलट जाना तय माना जा रहा है। उपचुनाव में इसकी झलक मिल गई। इसके अलावा यहां बीजेपी के कुछ सांसद व सहयोगी दल अब ​मुखर हो रहे हैं। ताजा उदाहरण ओम प्रकाश राजभर का है, इनके लगातार व्यंग बाण से बीजेपी को यूपी में काफी नुकसान हुआ है। यही कारण रहा कि अमित शाह ने मंगलवार को उन्हें दिल्ली तलब ​किया। हैरत यह हुई कि उत्तर प्रदेश में अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत के सुर तेज करने वाले कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर के सुर अमित शाह से मुलाकात के बाद बदले हुए नजर आए। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अब वह पूर्णरूप से संतुष्ट हैं। इनके अलावा इलाहाबाद के सांसद श्याम चरण गुप्ता, सुल्तानपुर के सांसद वरुण गांधी, आजमगढ़ के सांसद रमाकांत यादव ऐसे बयानबीर हैं जो गाहे बेगाहे हमेशा ही अपने बयानों से पार्टी को कटघरे में खड़े कर देते हैं। इसके अलावा यूपी के सीएम—डीप्टी सीएम की रिश्ते भी सुर्खियां बनते रहे हैं। इतना ही नहीं बीते विधानसभा व उसके बाद नगर निगम चुनाव के दौरान भी बीजेपी के असंतुष्टों की संख्या बढ़ी है। योगी के कई विधायक भी पार्टी लाइन के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि इन बातों का नकारात्मक प्रभाव यूपी में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है।
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बिहार में भी बड़े जयचंद
बीजेपी खासकर पीएम नरेंद्र मोदी के बड़े आलोचकों में शुमार तीन बड़े नाम बिहार से ही आते हैं। पीएम के सबसे बड़े आलोचकों में आजकल सबसे अधिक चर्चा बटोरने वाला पहला नाम पटना साहिब के सांसद शत्रुघ्न सिंहा का है। पीएम मोदी के खिलाफ उनके बयान लगातार शब्द बाण का  काम करते हैं। इसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिंहा हैं, जिन्होंने तो अपने ही सरकार के खिलाफ अभियान चला रखा है। तीसरा नाम है ​सांसद कीर्ति आजाद का। हालांकि आजाद को 23 दिसंबर 2015 में पार्टी विरोधी क्रिया कलापों के आरोप में बीजेपी से निलंबित कर दिया गया था। उसके बाद से उनके पार्टी विरोधी बयानों में और भी धार देखी गई।
इन सबके अलावा बीजेपी के सहयोगी दल व बिहार में 6 सांसदों वाली लोकजन शक्ति पार्टी के नेता राम विलास पासवान और चिराग पासवान का नाम आता है। टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव के बाद बीजेपी को इनके बयान भी गंभीरता से लेना होगा। रामविलास जब भी किसी दल से अलग होते हैं उसके पहले ऐसे ही बयान देने का उनका इतिहास रहा है। इतना ही नहीं बिहार ही राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के तीन सांसद हैं और इनके मुखिया उपेंद्र कुश्वाहा का लालू के साथ खेमाबंदी की चर्चा जोरो पर है।
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वर्तमान में यह है लोकसभा में सीटों की स्थिति
अभी लोकसभा में बीजेपी के 273 सांसद हैं। कांग्रेस के 48, AIADMK के 37, तृणमूल कांग्रेस के 34, बीजेडी के 20, शिवसेना के 18, टीडीपी के 16, टीआरएस के 11, सीपीआई (एम) के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 9, समाजवादी पार्टी के 7, इनके अलावा 26 अन्य पार्टियों के 56 सांसद है। 5 सीटें अभी भी खाली हैं।

सहयोगियों की भूमिका
एऩडीए में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के पास स्पीकर समेत 275 सांसद हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के पास 18, रामविलास पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी (एलजेपी) के पास 6, अकाली दल के पास 4, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के पास 3, जेडीयू के पास 2, अपना दल के पास 2 और 4 अन्य दलों के सांसद हैं।

कौन हो सकता है बागी
शिवसेना
- 18 सांसद का बीजेपी को समर्थन देने वाली शिवसेना ने अगले आम चुनाव को लेकर अलग राह चुन ली है। पार्टी ने एलान कर दिया है कि वह 2019 का विधानसभा और लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी - 3 सांसदों के साथ एनडीए के घटक बने उपेंद्र कुश्वाहा का बीजेपी से रिश्ता नरग गरम चल रहा है।
टीडीपी - तेलगु देशम पार्टी के सांसदों की संख्या 16 है। चंद्रबाबु नायडू ने पहले ही एनडीए व मोदी से अपना समर्थन वापस ले लिया है।

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