Edited By vasudha,Updated: 23 Sep, 2018 05:13 PM
कुछ महीनों पहले ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ओडीएफ) घोषित किये जाने के बावजूद गुजरात को अभी भी लाखों शौचालयों की जरूरत है। एक आरटीआई के जवाब के अनुसार गुजरात के ग्रामीण घरों में अभी लाखों शौचालयों की आवश्यकता है...
अहमदाबाद: कुछ महीनों पहले ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ओडीएफ) घोषित किये जाने के बावजूद गुजरात को अभी भी लाखों शौचालयों की जरूरत है। एक आरटीआई के जवाब के अनुसार गुजरात के ग्रामीण घरों में अभी लाखों शौचालयों की आवश्यकता है। आरटीआई कार्यकर्ता हितेश चावडा द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में जिला प्रशासन ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण’ योजना के तहत दाहोद में इस वर्ष मई-जून तक 1.40 लाख परिवारों को शौचालय नहीं मिले हैं।
परिवारों का बंटना बड़ी समस्या
इसके अलावा वडोदरा में 17,874 परिवारों, छोटा उदयपुर में 26,687, कच्छ में 14,878, साबरकांठा में 34,607, पाटन में 27,180, महीसागर में 19,526 और अमरेली जिले में 21,320 परिवारों के घरों में शौचालय नहीं हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की आवश्यकताएं हर वर्ष आने की उम्मीद है क्योंकि परिवार बंट रहे है। राज्य ग्रामीण विकास विभाग ने जवाब में कहा कि केन्द्र सरकार की योजना शुरू होने के बाद से गुजरात सरकार ने वर्ष 2014 से 32 लाख से अधिक शौचालयों के निर्माण पर 2,893 करोड़ रुपये खर्च किये है। इसमें से 1,778.96 करोड़ रुपये केन्द्र ने मंजूर किये।
ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण को मिली मंजूरी
विभाग की आयुक्त और सचिव मोना खानधर ने बताया कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को अपनी सुविधा मिलने से पहले कई और वर्षों तक शौचालयों का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा कि जैसे कि नये परिवार बनते हैं, वयस्क पुत्रियों और पुत्रों का विवाह हो जाता है, भाई अलग हो जाते हैं और उनके अलग से घर हो जाते हैं। इसलिए इस तरह की जरूरत होने की उम्मीद है। खानधर ने कहा कि राज्य को ओडीएफ से मुक्त घोषित किये जाने के बाद गुजरात सरकार इस वर्ष ग्रामीण इलाकों में पहले ही एक लाख अतिरिक्त शौचालयों के निर्माण को मंजूरी दे चुकी है।