Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2018 11:06 PM
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि प्रेम और अपनत्व की भावना के साथ सामाजिक समानता और समरसता के लिए कोशिश करने की जरूरत है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित दो दिवसीय जनजाति समग्र चिंतन शिविर का आज...
रायपुर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि प्रेम और अपनत्व की भावना के साथ सामाजिक समानता और समरसता के लिए कोशिश करने की जरूरत है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित दो दिवसीय जनजाति समग्र चिंतन शिविर का आज समापन हो गया।
चिंतन शिविर के मीडिया प्रभारी आशुतोष मंडावी ने कहा कि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वावधान में भारत के जनजातियों की अस्मिता एवं अस्तित्व विषय पर आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसघंचालक भागवत ने कहा कि भारत की समस्त जनजाति समाज की दृष्टि विशुद्ध रूप से पर्यावरण से जुड़ी दृष्टि है जिसमें पर्यावरण और समाज की चिंता शामिल है। उन्होंने कहा कि समाज में समय-समय पर परिस्थितियों में बदलाव आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन सभी को समाज में प्रेम और अपनत्व की भावना के साथ सामाजिक समानता एवं समरसता के लिए हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है।
मंडावी ने बताया कि सत्र की शुरुआत हुई जिसमें चर्चा को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी ने कहा कि जनजाति समाज में महिला नेतृत्व और युवा नेतृत्व कैसे खड़ा हो जिससे समाज के सभी वर्ग के युवाओं और महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए सर्वांगीण विकास की दिशा में कार्य किया जा सके।
मंडावी ने बताया कि सत्र के दौरान जनजाति समाज के विभिन्न पक्ष जैसे सरकारी योजनाओं का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन, जनजाति समाज में युवा और महिला नेतृत्व, ग्रामीण समाज एवं पर्यावरण तथा जनजाति समाज के युवाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ जैसे सभी संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस कार्यशाला में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरांव, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम तथा केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री सुदर्शन भगत मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय समग्र चिंतन शिविर में पूरे देश भर के जनजाति समाज के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करने वाले 140 चिंतक और सामाजिक नेतृत्वकर्ता और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में पत्थलगड़ी आंदोलन के बाद इस शिविर को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पत्थलगड़ी आंदोलन के माध्यम से राज्य के आदिवासियों के एक वर्ग ने राज्य सरकार से नाराजगी जताई है।