भारत की आपत्ति के बावजूद बोला नेपाल- नए नक्शे को जल्द मिलेगी संसद की मंजूरी

Edited By Tanuja,Updated: 28 May, 2020 12:03 PM

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तवाघाट- लिपुलेख सड़क के लिंक होने के बाद नेपाल द्वारा दार्चुला जिले के सीमावर्ती इलाकों में गतिविधि बढ़ाने के बाद भारत....

इंटरनेशनल डेस्कः तवाघाट- लिपुलेख सड़क के लिंक होने के बाद नेपाल द्वारा दार्चुला जिले के सीमावर्ती इलाकों में गतिविधि बढ़ाने के बाद भारत-नेपाल के संबंधों में दरार आ गई है। दरअसल छांगरू में बीओपी स्थापित कर सशस्त्र प्रहरी बल के जवानों को तैनात करने के बाद नेपाल ने सड़क निर्माण की कवायद शुरू कर दी है। इस बीच केपी ओली की सरकार ने नेपाल के क्षेत्र में लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवादित क्षेत्रों को शामिल करते हुए अपडेटेड नक्शा प्रकाशित किया है जिसको मंजूरी के लिए संवैधानिक संशोधन के जरिए संसद से समर्थन हासिल करने की जरूरत है।

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हालांकि इसे बुधवार को ही किया जाना था, लेकिन इसमें देरी हो रही है क्योंकि सरकार के पास संविधान संशोधन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत नहीं है और ओली सरकार इससे थोड़ा पीछे है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्याली ने उम्मीद जताई  कि यह बिल जल्द ही पारित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गुरुवार को बजट पेश होना है इसलिए शायद शुक्रवार को संशोधन बिल के आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि नक्शे को लेकर समीकरण बदल सकते हैं और उन्हें पूरा विश्वास है कि बहुत जल्द इस बिल को नेपाल में सभी दलों का समर्थन हासिल हो जाएगा।

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बता दें कि नेपाल सरकार ने भारत के लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र को अपने नए नक्शे में दर्शाया था जिस पर भारत सरकार ने भी आपत्ति जताई थी। सूत्रों के मुताबिक ओली सरकार संविधान में संशोधन होते ही नए नक्शे के उपयोग को लेकर सभी मंत्रालयों को एक परिपत्र जारी करेगी। विदेश मंत्रालय के माध्यम से नेपाल के नए नक्शे और नए निशान का उपयोग विभिन्न राज्यों के दूतावासों के अलावा संयुक्त राष्ट्र में भी किया जाएगा। हालांकि अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस देरी के पीछे भारत की कूटनीति हो सकती है। भारत सरकार के सूत्रों ने बताया था कि वे स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

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नेपाल के समीकरणों पर भारत की नजर 
सूत्रों के अनुसार नेपाल में इस मामले पर गंभीर बहस चल रही क्योंकि यह मुद्दा भारत और नेपाल के बीच संबंधों से जुड़े मूल्य को भी प्रदर्शित करता है। नेपाल में सरकार में संशोधन कराने के लिए जरूरी बहुमत से 9 वोट कम है। इस मुद्दे पर चर्चा करने और आम सहमति बनाने के लिए प्रधानमंत्री केपी ओली द्वारा मंगलवार को एक सर्वदलीय बैठक के दौरान, नेपाली कांग्रेस ने कहा था कि उन्हें पार्टी की कार्यसमिति द्वारा इसकी पुष्टि करनी होगी।  सूत्रों का कहना है कि मधेसी दलों के पास 33 सदस्य हैं, जो अपनी मांगों को पूरा करना चाहते हैं, जिसमें नागरिकता मामले पर संशोधन करने की मांग शामिल है। इस बीच, भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि हम नेपाल के घटनाक्रम पर ध्यानपूर्वक नजर बनाए हुए हैं। 

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