ऑफ द रिकार्ड: नए ‘किंग मेकर्स’, बीजद, TRS, YSR के 50 सांसद करेंगे फैसला

Edited By ,Updated: 24 Feb, 2019 05:27 AM

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चुनाव विशलेषकों का विश्वास हो सकता है कि 2019 के चुनावों में ‘त्रिशंकु’ लोकसभा बनने की स्थिति में टी.एम.सी. की ममता बनर्जी या तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू या बसपा की मायावती ‘किंग मेकर’ होंगी मगर अफसोस है कि वे गलत हैं। क्षितिज पर इस समय नए किंग मेकर्स...

चुनाव विशलेषकों का विश्वास हो सकता है कि 2019 के चुनावों में ‘त्रिशंकु’ लोकसभा बनने की स्थिति में टी.एम.सी. की ममता बनर्जी या तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू या बसपा की मायावती ‘किंग मेकर’ होंगी मगर अफसोस है कि वे गलत हैं। 
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क्षितिज पर इस समय नए किंग मेकर्स के रूप में 3 निष्पक्ष पार्टियां हैं जिनमें ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजद), आंध्र प्रदेश की वाई.एस.आर. कांग्रेस और तेलंगाना की तेलंगाना राष्ट्रीय समिति शामिल हैं। इन तीनों पार्टियों के 45 से 50 लोकसभा सीटें जीतने की संभावना है और अगर भाजपा 200 सीटों पर सिमट जाती है तो ये पार्टियां नई सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगी। 
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इन तीनों पार्टियों ने चुनावों में निष्पक्ष रहने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे अकेले ही चुनाव लड़ेंगी। उनका यह भी कहना है कि उनकी माया, ममता या नायडू की तरह राष्ट्रीय राजनीति में कोई रुचि नहीं। चुनाव विशलेषकों के अनुसार वाई.एस.आर. कांग्रेस आंध्र प्रदेश राज्य में पूरी तरह हावी है जहां लोकसभा की 25 सीटें हैं। वाई.एस.आर. कांग्रेस राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का एक हिस्सा है और इसका गठन उस समय हुआ जब वाई.एस.आर. के जगनमोहन रैड्डी ने उनको सी.एम. का पद न देने पर सोनिया गांधी के खिलाफ बगावत कर दी थी। 
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जगनमोहन रैड्डी को कम से कम 15-17 लोकसभा सीटें जीतने की आशा है। चुनाव के बाद जगनमोहन रैड्डी भाजपा के साथ जा सकते हैं क्योंकि उनके प्रशांत किशोर के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं जो पार्टी के साथ एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम कर रहे हैं। जगनमोहन रैड्डी ने उनको बंजारा हिल्स में एक विशाल साम्राज्य बना दिया है जहां से वह अपना चुनाव अभियान चला रहे हैं। इसी तरह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव के नेतृत्व में टी.आर.एस. को 17 में से 15 लोकसभा सीटें जीतने की उम्मीद है। 
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चुनाव विशलेषकों का विश्वास है कि भाजपा और कांग्रेस खाली हाथ रहेंगी। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल (बीजद) के भी राज्य में 15 से 16 सीटें जीतने की संभावना है। भाजपा बुरी तरह हताश है कि वह नवीन पटनायक को हर तरीके से लुभाना चाहती है और उसने बी.जे. पांडा को खुड्डे लाइन लगा दिया है जिन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया। पांडा अब गुस्से में हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ओडिशा में पूरी लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे और पटनायक को चुनौती देने का विचार किया था मगर अब वह कुछ और ही सोचते हैं। 
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वास्तव में नवीन पटनायक की बहन गीता मेहता को मोदी द्वारा पद्मश्री की पेशकश की गई थी। यद्यपि उन्होंने बाद में यह कहते हुए इसे लेने से इन्कार कर दिया कि इसका गलत राजनीतिक संदेश जाएगा। सी.बी.आई. ओडिशा के मामले में भी शांत है। यद्यपि बीजद के नेता भी चिट फंड घोटालों में संलिप्त हैं। 543 सदस्यीय लोकसभा में 50 सीटों वाला यह ग्रुप उस समय निर्णायक भूमिका निभाएगा अगर भाजपा 200 सीटों के अंक को पार नहीं कर पाई।

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