Edited By Anu Malhotra,Updated: 07 Oct, 2024 01:58 PM
एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक और अनियंत्रित इस्तेमाल अब एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के नई स्टडी में यह पाया है कि भारत में रोगाणु (बैक्टीरिया) लगातार एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर...
नई दिल्ली: एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक और अनियंत्रित इस्तेमाल अब एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के नई स्टडी में यह पाया है कि भारत में रोगाणु (बैक्टीरिया) लगातार एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर रहे हैं, जिससे ये दवाएं अब इन संक्रमणों को खत्म करने में उतनी प्रभावी नहीं रह गई हैं। यह स्थिति संक्रमणों का इलाज और अधिक कठिन बना रही है और इससे बीमारी फैलने व मृत्यु का जोखिम बढ़ रहा है।
प्रमुख रोगाणु दिखा रहे प्रतिरोध
अध्ययन में खून के संक्रमण (ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन) के लिए जिम्मेदार दो प्रमुख रोगाणु – क्लेबसिएला निमोनिया और एसिनेटोबैक्टर बाउमानी – विशेष रूप से गहन चिकित्सा इकाइयों (ICU) में इलाजरत मरीजों में एंटीबायोटिक इमिपेनेम के प्रति प्रतिरोधी पाए गए हैं। इसके अलावा, स्टैफिलोकोकस आरियस और एंटरोकोकस फेसियम भी क्रमशः ऑक्सासिलिन और वैनकोमाइसिन के प्रति प्रतिरोधी पाए गए हैं, जो अस्पतालों में होने वाले संक्रमणों के इलाज में प्रमुख दवाएं हैं।
क्या कहती रिपोर्ट ?
ICMR की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 39 अस्पतालों से लिए गए आंकड़ों में खून, पेशाब की नली (UTI), और निमोनिया से पीड़ित मरीजों में बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध के मामले सामने आए हैं। ई. कोलाई और क्लेबसिएला निमोनिया जैसे बैक्टीरिया में कार्बापेनेम, फ्लोरोक्विनोलोन, और सेफलोस्पोरिन जैसी एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोध की उच्च दर देखी गई है।
कार्रवाई
ICMR की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया ने कहा कि अध्ययन से पता चला है कि ICU, वार्ड और बाह्य रोगी विभाग (OPD) में रोगाणुओं में एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोध तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का एक प्रमुख कारण है।