Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 02:47 PM
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का रुख इन दिनों काफी सख्त हो गया है। एनजीटी ने अब तीर्थयात्रियों को उचित ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाने के लिए अमरनाथ श्राइन बोर्ड से नाराजगी जताई। एनजीटी ने श्राइन बोर्ड को...
नई दिल्लीः प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का रुख इन दिनों काफी सख्त हो गया है। एनजीटी ने दक्षिण कश्मीर में हिमालय में स्थित पवित्र गुफा तक जाने वाले तीर्थयात्रियों को उचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए आज अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फटकार लगाई। एनजीटी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2012 में दिए गए निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बोर्ड से पूछा कि इन वर्षों में उसने इस बारे में क्या कदम उठाए हैं।
एनजीटी ने उठाए ये सवाल
-एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘मंदिर के नजदीक आपने दुकानें खोलने की इजाजत दे रखी है।
-शौचालय की कोई उचित सुविधा नहीं है। क्या आप जानते हैं कि महिलाओं के लिए यह कितनी परेशानी की बात है।
-आपने तीर्थयात्रियों को उचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं कराई। आप तीर्थयात्रियों के बजाए व्यावसायिक गतिविधियों को तवज्जो दे रहे हैं। यह गलत है।
-मंदिर की पवित्रता का ख्याल रखा जाना चाहिए।’’
हरित अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है जो तीर्थयात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी कार्ययोजना पेश करेगी। पीठ ने कहा कि समिति को जांच के बाद उचित मार्ग, गुफा के इर्दगिर्द के स्थल को साइलेंट जोन घोषित करने और मंदिर के निकट स्वच्छता बनाए रखने जैसे पहलुओं पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। समिति से इलाके में इको-फ्रेंडली शौचालय के निर्माण के बारे में विचार करने के लिए भी कहा गया है। अधिकरण ने श्राइन बोर्ड से कहा कि शीर्ष अदालत के 2012 के निर्देशों के अनुपालन संबंधी स्थिति रिपोर्ट दिसंबर के पहले हफ्ते में पेश की जाए। अधिकरण ने यह निर्देश पर्यावरण कार्यकर्त्ता गौरी मौलेखी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।