Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 16 Jul, 2019 05:14 PM
पिछले कई दशकों से भारत सीमापार आतंकवाद से पीड़ित है। इसे बड़े पैमाने पर पाकिस्तान सरीखे दुश्मन देश बढ़ावा दे रहे हैं। आतंकवाद से निपटना भारत ही नहीं दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
नई दिल्लीः पिछले कई दशकों से भारत सीमापार आतंकवाद से पीड़ित है। इसे बड़े पैमाने पर पाकिस्तान सरीखे दुश्मन देश बढ़ावा दे रहे हैं। आतंकवाद से निपटना भारत ही नहीं दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। इसी चुनौती से निपटने के लिए अमेरिका समेत कई देशों ने अपनी ऐजेंसियों को पहले से कई अधिक मजबूत किया था। वहीं भारत में इससे निपटने के लिए कोई खास एजेंसी नहीं थीं।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों और देश के नीति नियंताओं ने महसूस किया कि परंपरागत तरीके से आतंकवाद जैसी विकराल समस्या पर काबू नहीं पाया जा सकता। लेकिन 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुई आतंकी घटना ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी। इस आतंकी घटना में देश-विदेश के 171 लोगों की मौत हो गई और करीब 239 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इसने नई एजेंसी के गठन के लिए एक मजबूत भूमिका रच दी। इस तरह भारत सरकार ने आंतकवाद से लड़ने के लिए 31 दिसंबर 2008 को संसद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एक्ट 2008 पारित कर एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) का गठन किया। यह एजेंसी देश में आंतकवाद से जुड़ी किसी भी जांच के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए इसे राज्यों से किसी भी तरह की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।
बढ़ते आतंकवाद और उसके नए-नए तरीकों से निपटने के लिए एजेंसी को और मजबूत करने की जरूरत महसूस की गई। इसलिए विपक्ष की विरोध के बावजूद यह संशोधित एऩआइए बिल 2019 लोकसभा में 6 के मुकाबले 278 वोट से पारित हो गया।
संशोधित NIA बिल की पांच बड़ी बातें
- संशोधन के बाद अब एनआइए देश ही नहीं विदेशी धरती पर भारतीय या भारतीय हितों पर हमलों की भी जांच कर सकेगा। क्योंकि देखने में आया कि देश विरोधी गतिविधि चलाने के बाद अपराधी विदेश भाग जाते हैं या कई बार भारत विरोधी गतिविधि के तार विदेश से जुड़े होते हैं। ऐसे में एऩआइए खुद को जांच के लिए असमर्थ पाती थी। लेकिन संशोधन एनआइए को विदेश में जांच करने का कानूनी अधिकार मिल गया है। इस्लामिक विद्वान जाकिर नाइक इसका ज्वलंत उदाहरण हैं जिसकी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को तलाश है लेकिन वह मलेशिया भाग चुका है।
- अब एनआइए साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जांच भी कर सकेगी। इससे हाइटेक और सोशल मीडिया से आतंकी गतिविधि चलाने वालो के खिलाफ एनआइए आसानी से जांच कर सकेगी। क्योंकि दिन-ब-दिन आतंकवादी खुद को सोशल मीडिया के माध्यम से खुद को मजबूत बना रहे हैं।
- जाली करेंसी और मानव तस्करी से जुड़े मामलों में भी अब एऩआइए जांच कर सकेंगी।
- प्रतिबंधित हथियारों की बिक्री या निर्माण से जुड़े मामलों की जांच भी अब एनआइए कर सकेंगी।
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी को अब विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 के तहत होने वाले अपराधिक मामलों की जांच भी कर सकेंगी।
- 91 फीसद मामलों में सजा दिलाने में सफल रही एऩआइए
अभी तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 244 मामलों की जांच की और केस दर्ज किए हैं। आरोप पत्र दाखिल करने के बाद, 37 मामलों में पूरी तरह या आंशिक रूप से कोर्ट में ट्रायल हुआ है। इनमें से 35 केस में एनआइए सजा दिलाने में सफल रही है यानी 91.3 फीसद।