Edited By Ashish panwar,Updated: 15 Jan, 2020 06:03 PM
कांग्रेस की छत्तीसगढ़ ने साल 2008 के एनआईए अधिनियम को असंवैधानिक करार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने शीर्ष अदालत में दलील दी है की NIA कानून राज्य से जांच का अधिकार छीन लेता है और केंद्र को मनमाना अधिकार देता है।...
नेशनल डेस्कः कांग्रेस की छत्तीसगढ़ ने साल 2008 के एनआईए अधिनियम को असंवैधानिक करार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने शीर्ष अदालत में दलील दी है की NIA कानून राज्य से जांच का अधिकार छीन लेता है और केंद्र को मनमाना अधिकार देता है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि यह कानून NIA Act 2008 राज्य की संप्रभुता वाले विचार के खिलाफ है, जैसा कि संविधान में वर्णित है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अदालत में कहा है कि इस कानून NIA Act 2008 से राज्य पुलिस को जांच करने का मिला संवैधानिक अधिकार प्रभावित होता है। विगत है कि साल 2008 में जब NIA कानून बना तब केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार थी। उस समय कानून बनाते वक्त 26/11 हमले को आधार बनाया गया था। अब आज इस कानून को चुनौती देने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की ही सरकार है।
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार एनआइए एक्ट को चुनौती देने वाली पहली राज्य सरकार है। गौर करने वाली बात यह भी है कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने केरल सरकार द्वारा संशोधित नागरिकता कानून CAA को चुनौती दिए जाने के एक दिन बाद यह याचिका दाखिल की है। केरल सरकार ने CAA को संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
छत्तीसगढ़ की सरकार ने भी अनुच्छेद 131 का हवाला देते हुए ही यह मामला दाखिल किया है। बता दें कि अनुच्छेद 131 के तहत राज्य केंद्र से विवाद की स्थिति में सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि एनआइए एक्ट संसद के विधायी अधिकार क्षेत्र से बाहर है। यह कानून राज्य पुलिस की ओर से की जाने वाली जांचों के लिए केंद्र को एनआइए से जांच का अधिकार देता है। सरकार का कहना है कि यह मामला संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत राज्य के अधीन आता है।