मैदान में जानलेवा वायरस,  पहाड़ पर चिंता

Edited By Anil dev,Updated: 22 May, 2018 02:34 PM

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केरल में फैला जानलेवा निपाह वायरस हिमाचल के लिए चिंता पैदा  कर रहा है।  हालांकि कोझिकोड और कुल्लू -मनाली या शिमला के बीच  चार हज़ार मील का फैसला है और वायरस का दायरा इतना बड़ा नहीं है। लेकिन इसके बावजूद हिमाचल का सहमना इसलिए  तर्कसंगत है क्योंकि...

नेशनल डेस्क, (संजीव शर्मा): केरल में फैला जानलेवा निपाह वायरस हिमाचल के लिए चिंता पैदा  कर रहा है।  हालांकि कोझिकोड और कुल्लू -मनाली या शिमला के बीच  चार हज़ार मील का फैसला है और वायरस का दायरा इतना बड़ा नहीं है। लेकिन इसके बावजूद हिमाचल का सहमना इसलिए  तर्कसंगत है क्योंकि गर्मियों में पहाड़ पर आने वाले अधिकांश पर्यटक  मैदानी इलाकों से  ही आते हैं।
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आंकड़े बताते हैं कि  हर साल हिमाचल पहुंचने वाले दो करोड़ पर्यटकों में से बीस लाख की हिस्सेदारी दक्षिण भारतीयों  की है। इनमे से कितने केरल से आते हैं यह एक  यक्ष प्रश्न हो सकता है ,लेकिन यह सम्भावना तो प्रबल हो ही जाती है की किसी के साथ भी यह जानलेवा वायरस हिमाचल पहुंच सकता है। यही वजह है की हिमाचल सरकार और स्वास्थ्य विभाग  सजग हो गए हैं। हिमाचल का प्रमुख उद्योग पर्यटन ही है और हर साल का पर्यटन कारोबार छह हज़ार करोड़ का है। ऐसे में अगर मामला जल्द नहीं  संभला तो  इसका प्रतिकूल असर प्रदेश के पर्यटन पर भी संभावित है। दरअसल, हिमाचल का निपाह को लेकर चिंतित होना लाज़मी भी है।  अतीत गवाह है की जानलेवा वायरस पर्यटकों के माध्यम से यहां  अन्य जगहों की अपेक्षा तेजी से  पहुंचे हैं।  2010  में इसी तरह स्वाइन फ़्लू भी दक्षिण में  शुरू होने के बाद  सीधे हिमाचल पहुंचा था।  और यह सब यहां आने वाले पर्यटकों  के कारण हुआ था। ऐसे में  भरे पर्यटन सीजन के दौरान निपाह वायरस ने हिमाचल की टेंशन बढ़ा दी है। 
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अभिभावकों को बच्चों की चिंता 
हिमाचल प्रदेश से  करीब 5 हज़ार छात्र दक्षिण भारत के विभिन्न संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। निपाह के फैलाव और  इससे हुई मौतों ने  उनके अभिभावकों की भी चिंताएं  भी  बढ़ा दी हैं।  चूंकि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने  केरल  और संवेदनशील इलाकों के लोगों को कहीं मूव नहीं करने की एडवायजरी जारी की है लिहाज़ा अभिभावक बच्चों को घर भी नहीं बुला सकते। PunjabKesari
क्या है यह वायरस ?
दरअसल निपाह वायरस को लेकर पहली मर्तबा 1998 में  रिपोर्टिंग हुई थी। मलेशिया के निपाह जनपद में कुछ लोगों में ऐसा संक्रमण पाया गया जो संभवतया चमगादड़ों से फैला था। इसलिए इसे निपाह नाम दिया गया। एक अवधारणा यह भी है कि यह सूअरों से भी फैलता है।  एक अन्य अवधारणा के मुताबिक खजूर भी इसके  लिहाज़ से   संवेदनशील माना  जाता है।  वायरस एक बार जोर पकड़ ले तो इंसान  से इंसान में भी फ़ैल जाता है।  
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क्या हैं लक्षण ?
निपाह वायरस  पल्ल्वित होने में 5 से 15  दिन लेता है।  तेज़ संक्रमण की स्थिति में पीड़ित  के नर्वस सिस्टम पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है।  तेज़ बुखार भी आता है।  रोगी  कोमा में चला जाता है  मौत हो जाती है।  1998  में 265  लोगों में यह वायरस पाया गया उनमे से 40 फीसदी की मौत हो  गयी थी।  शेष को दिमागी जकड़न जैसी गंभीर बीमारी  से झूझना पड़ा था।  

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