निर्भया केस: नए डेथ वारंट के लिए कोर्ट पहुंचा तिहाड़ प्रशासन, दोषियों के पास अब नहीं बचा कोई कानूनी

Edited By Yaspal,Updated: 04 Mar, 2020 09:15 PM

nirbhaya case tihar administration reaches court for new death warrant

साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में आखिरी बची दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज किए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने बुधवार को मामले के चारों दोषियों की फांसी के लिए नई तारीख निर्धारित करने का अनुरोध करते हुए यहां की...

नई दिल्लीः साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में आखिरी बची दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज किए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने बुधवार को मामले के चारों दोषियों की फांसी के लिए नई तारीख निर्धारित करने का अनुरोध करते हुए यहां की एक अदालत का रुख किया। दिल्ली कारागार नियमावली के मुताबिक मौत की सजा का सामना कर रहे किसी दोषी की दया याचिका खारिज होने के बाद उसे फांसी देने से पहले 14 दिन का समय दिया जाता है। सभी चारों दोषियों को एकसाथ फांसी दी जानी है।
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केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 25 वर्षीय पवन कुमार गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी है। पवन कुमार गुप्ता इस मामले के चार दोषियों में से एक है। दिल्ली सरकार ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा को बताया कि दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं और अब कोई विकल्प नहीं बचा है। इसके बाद न्यायाधीश ने दोषियों को निर्देश दिया कि वे अपना जवाब कल तक दायर करें जबकि अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि किसी नोटिस की जरूरत नहीं है।
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वहीं, अदालत ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हिस्सा है और दूसरे पक्ष को सुने जाने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पवन के अलावा मुकेश कुमार सिंह (32), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी देने के लिए पूर्व में तीन मार्च सुबह छह बजे का समय निर्धारित किया था। इसे अदालत ने गत सोमवार को छह सप्ताह में तीसरी बार टाल दिया था क्योंकि दोषी अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे थे। मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति पहले ही खारिज कर चुके हैं। अदालत ने फांसी सोमवार को अगले आदेश तक टाल दी थी।
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निर्भया के पिता ने उम्मीद जताई कि दोषियों को इस महीने फांसी दे दी जाएगी। उन्होंने फोन पर पीटीआई से कहा, ‘‘उसके (पवन) पास एक विकल्प बचा है..वह है दया याचिका खारिज किये जाने को उच्चतम न्यायालय को चुनौती देना, जैसा अन्य ने किया है। देखते हैं आगे क्या होता है लेकिन हमें न्याय मिलने का भरोसा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि दोषियों को इस महीने फांसी दे दी जाएगी और हमें लंबे इंतजार के बाद न्याय मिलेगा।'' फांसी देने की पहली तारीख 22 जनवरी तय की गई थी जिसे अदालत ने बाद में टाल दिया था। यद्यपि 31 जनवरी को अदालत ने फांसी अनिश्चितकाल के लिए टाल दी थी। 17 फरवरी को अदालत ने फिर से तीन मार्च सुबह छह बजे फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया।
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इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने उस अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को हस्तक्षेप करने और चारों दोषियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसे सबसे पहले एनएचआरसी के समक्ष पेश किया जाना चाहिए था। चारों दोषियों और एक किशोर सहित छह व्यक्ति आरोपी के तौर पर नामजद थे। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। एक सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 2015 में किशोर को रिहा कर दिया गया था।

गौरतलब है कि निर्भया से 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार के साथ ही उस पर बर्बरता से हमला किया गया था। निर्भया की बाद में सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गयी थी, जहाँ उसे बेहतर चिकित्सा के लिए ले जाया गया था। दिल्ली की एक अदालत ने 13 सितम्बर 2013 को चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। उसके बाद से इस मामले में कई मोड़ आए।

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