निर्भया मामले में एमनेस्टी ने कहा: फांसी देने से महिलाओं के खिलाफ अपराध समाप्त नहीं हो जाते

Edited By Anil dev,Updated: 09 Jul, 2018 05:43 PM

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निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के सनसनीखेज मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा तीन दोषियों की पुर्निवचार याचिका आज खारिज कर देने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि फांसी की सजा दिए जाने से महिलाओं के खिलाफ ङ्क्षहसा समाप्त नहीं हो जाती।

नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के सनसनीखेज मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा तीन दोषियों की पुर्निवचार याचिका आज खारिज कर देने के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि फांसी की सजा दिए जाने से महिलाओं के खिलाफ ङ्क्षहसा समाप्त नहीं हो जाती। मानवाधिकार निकाय ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौत की सजा यौन हिंसा के लिए प्रतिरोधक के रूप में काम करती है। उसने कहा कि कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन , दोषसिद्धि दरों में सुधार और सभी मामलों में न्याय की निश्चितता, सुनिश्चित करने के लिए सरकार को पर्याप्त संसाधन आवंटित करना होगा।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की प्रोग्राम निदेशक अस्मिता बसु ने कहा कि दुर्भाग्य से , फांसी की सजा से महिलाओं के खिलाफ हिंसा समाप्त नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि इसे दर्शाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि मौत की सजा यौन हिंसा या किसी अन्य प्रकार के अपराध के लिए प्रतिरोधक के तौर पर काम करती है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा समिति की सिफारिशों पर यौन उत्पीडऩ और बलात्कार से जुड़े कानूनों में सुधार किया गया था और उस समिति ने बलात्कार के मामलों में मौत की सजा का विरोध किया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि 2017 में भारत दुनिया के उन तीन देशों में से एक था जिन्होंने नए कानून बनाकर मौत की सजा के दायरे में विस्तार किया।      

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