निर्भया: 16 दिसंबर 2012 की वो काली रात, जब दरिंदों ने मानवता और दिल्ली को किया शर्मसार

Edited By Anil dev,Updated: 20 Mar, 2020 09:54 AM

nirbhaya pawan kumar magistratus vijay chowk

कैसा संयोग था, जिस दिन निर्भया के साथ वह दर्दनाक वाक्या हुआ, उस दिन वह अपने दोस्त के साथ लाइफ ऑफ पाई मूवी देखने गई थी। इस मूवी में किस तरह से एक व्यक्ति समुद्र के बीच शेर और खुले पानी में अपनी जिंदगी की जंग जीतता है, लेकिन वहीं इस मूवी को देखने के...

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): कैसा संयोग था, जिस दिन निर्भया के साथ वह दर्दनाक वाक्या हुआ, उस दिन वह अपने दोस्त के साथ लाइफ ऑफ पाई मूवी देखने गई थी। इस मूवी में किस तरह से एक व्यक्ति समुद्र के बीच शेर और खुले पानी में अपनी जिंदगी की जंग जीतता है, लेकिन वहीं इस मूवी को देखने के बाद भी वह दंरिदों के बीच ऐसी फंसी कि अपनी जिंदगी की जंग को हार गई। 16 दिसम्बर 2012 को दिन रविवार था, जब 23 वर्षीय निर्भया दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में ‘लाइफ ऑफ पाई’ मूवी देखने गई थी। मूवी खत्म होने के बाद फीजियोथेरेपिस्ट और उसका दोस्त ऑटो से रात 9 बजे मुनिरका बस स्टैंड पर पहुंचे थे। यहां दोनों बस का इंतजार कर रहे थे, तभी करीब 9:17 पर आईआईटी की तरफ से सफेद रंग की बस आकर रुकी। बस के साइड में यादव लिखा था और बस के शीशे में काले और पर्र्दे लगे थे। एक व्यक्ति ने उन्हें बस से छोडऩे के लिए कहा, जिस पर भरोसा कर उसका दोस्त और निर्भया उस बस में सवार हो गए। 
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बस में हुई सवार तो हो गई दरिंदगी की शिकार 
दोनों बस में सवार हो गए, उस दौरान चालक समेत बस में 6 लोग सवार थे। निर्भया के दोस्त से 20 रुपए किराया वसूलने के बाद निर्भया के दोस्त और दोषी पवन कुमार में बहस हो गई। इसका विरोध जब निर्भया ने किया तो युवकों ने लड़के को पकड़ लिया और निर्भया के साथ छेडख़ानी शुरू कर दी। इसी बीच एक नाबालिग लड़का केबिन से रॉड निकाल लाया और उसके दोस्त के सिर पर वार कर घायल कर दिया था। फिर युवती को पीछे की सीट पर ले जाकर दरिंदों ने न सिर्फ सामूहिक दुष्कर्म किया, बल्कि दरिंदगी की सारी हदें तोड़ दी थीं। पीड़िता ने खुद को छुड़ाने के लिए तमाम कोशिशें की, शरीर को नोचा, दांत काटा और मिन्नतें भी कीं, लेकिन हैवानियत पर उतारू इन दुष्कर्मियों पर कोई असर नहीं हुआ। 
 

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24 किलोमीटर दौड़ती बस में की हैवानियत
बदमाश चलती बस में निर्भया के साथ रेप करते रहे और इस दौरान उन्होंने करीब 24 किलोमीटर तक बस को दौड़ाया। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक मुकेश बस को लेकर महिपालपुर रोड एनएच-8 से यूटर्न लेकर द्वारका रूट पर गया और फिर बस को लेकर महिपालपुर आ गया था। इसके बाद होटल के सामने चलती बस से दोनों को नीचे फेंकने के बाद सभी फरार हो गए थे। 
 

उस रात के बाद काफी कुछ बदला 
निर्भया ने 13 दिन अस्तपाल में जिंदगी और मौत के बीच गुजारे, जिसके बाद सिंगापुर पहुंचते ही उसकी मौत हो गई, लेकिन इस दर्दनाक वाक्या और उस काली रात को जो कुछ भी हुआ, उसने दिल्ली पुलिस ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार को जगा दिया। पहली बार ऐसा देखने को मिला जब सड़कों पर नहीं, कॉलेज, घरों सहित हर जगह महिलाओं की सुरक्षा पर बात की जाने लगी। 29 दिसम्बर को जैसे ही निर्भया की मौत की खबर आई हर आंख छलक पड़ी और राजधानी थम सी गई थी। 


सड़कों पर उतरे लोग, विजय चौक पर थी लाखों की भीड़ 
निर्भया की मौत के बाद हर महिला ही नहीं, हर युवा के चेहरे पर गुस्सा दिखा। इसी का नतीजा था कि 30 दिसम्बर को इंडिया गेट से लेकर विजय चौक पर लाखों लोग मौजूद थे और हर किसी के जुबां पर एक ही वाक्य था कि निर्भया को इंसाफ दो और महिलाओं को सुरक्षा। निर्भया की मौत की सूचना मिलने पर लोगों ने पहले इंडिया गेट की ओर रुख किया था। पुलिस पहले ही जान चुकी थी कि हालात बेकाबू है और लोगों में गुस्सा है, जिसके चलते पुलिस ने सभी रास्ते बंद कर दिए थे। सड़कों पर उतरे लोगों के चेहरे से दर्द साफ झलक रहा था। उनमें आक्रोश भी था। शाम के समय अनेक स्थानों पर कैंडल मार्च निकालकर पीड़िता को श्रद्धांजलि दी गई थी। 
 

जागी सरकारें, बने कानून 
निर्भया केस के बाद ही सेक्शन 376 में हुआ बदलाव।
इसके अलावा देश भर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऐसे गंभीर अपराध में फास्ट टै्रक कोर्ट खोले गए।
महिलाओं से जुड़ी गाइडलाइन को बनाया गया।
देशभर में गाडिय़ों से ब्लैक शीशे हटाने का कानून पास किया गया।
कानून बना कि रेप पीड़िता केस में चार्जशीट 60 दिनों में तैयार हो।
 निर्भया कोष बनाया गया।
 

ये है दोषियों का प्रोफाइल, जिसमें आरोपी रामसिंह कर चुका है आत्महत्या 

रामसिंह (मुख्य आरोपी)
पता-झुग्गी नंबर जे-49, रविदास कैंप, आरके पुरम सेक्टर-3
काम-बस चालक
तिहाड़ जेल संख्या 3 में 11 मार्च, 2013 को खुदकुशी कर ली


मुकेश कुमार
पता- रविदास कैंप, आरकेपुरम सेक्टर-3
काम- ड्राइवर कम हेल्पर
राम सिंह का भाई है, दोनों साथ रहते थे, भाई के बस पर हेल्पर था, घटना के समय यही बस को चला रहा था।
अक्षय कुमार सिंह उर्फ अक्षय ठाकुर
पता- रविदास कैंप, आरकेपुरम सेक्टर-3
मूल निवासी- औरंगाबाद, बिहार
काम- बस हेल्पर


पवन गुप्ता
पता- रविदास कैंप, आरकेपुरम सेक्टर 3
काम- फल विक्रेता
विनय शर्मा
पता- रविदास कैंप, आरकेपुरम सेक्टर-3
काम- जिम में हेल्पर


छठा आरोपी
वह नाबालिग था, जिसे कोर्ट ने बालिग होने के बाद 31 अगस्त को तीन साल की सजा सुनाई, मौजूदा समय में वह बाहर है और सामान्य जिंदगी जी रहा है। कोर्ट के आदेश पर उसकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती।
छठा आरोपित वारदात के नाबालिग (17 साल छह महीने 11 दिन का था) अब बालिग होने के बाद उसे 31 अगस्त को बाल न्यायालय ने हत्या में अधिकतम तीन साल की सजा सुनाई थी। सजा पूरी होने के बाद 29 दिसम्बर 2015 में उसे रिहा कर दिया गया।

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