Nirbhaya Rape Case: निर्भया के दोषियों को 16 दिसंबर को हो सकती है फांसी, इस न्याय के दिन को घोषित कि

Edited By Pardeep,Updated: 09 Dec, 2019 05:38 AM

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16 दिसंबर 2012 की घटना जिस दिन ना सिर्फ निर्भया बल्कि देश की हर बेटी की आबरू के साथ खेला गया। इस घटना को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है। लेकिन निर्भया के दोषियों की रूह नहीं कांपी थी क्योंकि वे मानव के रूप में दानव थे। पिछले सात सालों से...

नई दिल्लीः 16 दिसंबर 2012 की घटना जिस दिन ना सिर्फ निर्भया बल्कि देश की हर बेटी की आबरू के साथ खेला गया। इस घटना को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है। लेकिन निर्भया के दोषियों की रूह नहीं कांपी थी क्योंकि वे मानव के रूप में दानव थे। पिछले सात सालों से निर्भया का केस लंबित है और आज भी आरोपी जेल में रोटी तोड़ रहे हैं। लेकिन अब  16 दिसंबर 2019 को निर्भया के दोषियों को फांसी देने की बात कही जा रही है।  दोषी अब भी तिहाड़ जेल में है।
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हालांकि तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है कि 16 दिसंबर को दोषियों को फांसी होगी या नहीं इस बारे में उन्हें मालूम नहीं है। वहीं दूसरी ओर दोषियों को फांसी की सजा से रोकने के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी गई है। इस याचिका को दिल्ली सरकार से खारिज कर दिया गया। इसके बाद यह एलजी हाउस से होती हुई केंद्रीय गृह मंत्रालय पहुंची। इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास पहुंचाया गया। लेकिन अगर राष्ट्रपति इस दया याचिका को खारिज कर देते हैं तो संबंधित कोर्ट दोषियों को फांसी के लिए डेट वॉरंट जारी करेगी।
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बता दें कि जेल में बंद मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता चारों दोषियों में से सिर्फ विनय शर्मा ने ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है। अन्य दोषियों ने दया याचिका से इंकार कर दिया। लेकिन राष्ट्रपति का अंतिम फैसला जो भी हो वह चारों पर लागू होगा। 

तारीख-दर-तारीख के बाद 16 दिसंबर 2019 की एक और तारीख
पिछले सात सालों से निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए तारीख-दर-तारीख ही मिल रही है। लेकिन इस बार एक बार फिर से 16 दिसंबर 2019 की तारीख सामने आई है। हालांकि दोषियों को फांसी 16 दिसंबर को होगी या कभी और यह तय करना संबंधित कोर्ट का काम है। लेकिन जनता में आक्रोश अब इतना बढ़ गया है कि वह ऐसे जघन्य घटना के आरोपी को जिंदा नहीं देखना चाहते। इसका उदाहरण हैदराबाद की महिला डॉक्टर से हुई गैंगरेप का है।

हैदराबाद में पुलिस वालों ने जब अपराधियों का एनकाउंटर कर दिया तो आम लोग पुलिस वालों पर फूलों की बारिश करने लगे, उनके पैर छूने लगे और उन्हें मिठाई खिलाने लगे। अब लोग भी ऐसी घटना में जल्द से जल्द इंसाफ चाहते हैं। अगर निर्भया के दोषियों को भी 16 दिसंबर को फांसी पर नहीं लटकाया गया तो लोगों का न्यायिक प्रक्रिया से भरोसा कम हो जाएगा और वह हर मामले में एनकाउंटर को ही सही मानेगी। वैसे भी निर्भया के दोषी पिछले सात सालों से जेल में हैं। उसके माता-पिता भी अब कोर्ट के चक्कर लगाकर हार चुके हैं। 

16 दिसंबर को घोषित हो निर्भया दिवस
16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया था। इस घटना ने सबको हिला कर रखा दिया था। अब जब खबर है कि निर्भया के दोषियों को 16 दिसंबर 2019 को सात साल बाद सजा दी जाएगी। ऐसे में सरकार को उस दिन को निर्भया दिवस के रूप में घोषित करना चाहिए, क्योंकि बलात्कार जैसी घटनाएं हर रोज सामने आती हैं और कई मामलों में दोषियों को सजा भी मिल जाती है लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें भुला दिया जाता है।

हालांकि ऐसी घटनाओं को भुलाना नहीं चाहिए बल्कि इससे सबक लेनी चाहिए। निर्भया दिवस, निर्भया और निर्भया जैसी रेप पीड़ितों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। ऐसी रेप पीड़िता जिनके साथ गलत हुआ है समाज को उनके साथ खड़ा होने की जरूरत है। इसलिए दोषियो को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए, क्योंकि देर से मिला न्याय भी अन्नाय होता है।

 

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