निर्भया के दोषियों को जल्द हो सकती है फांसी, 14 दिसंबर तक फंदे तैयार करने के निर्देश

Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Dec, 2019 09:08 AM

nirbhaya s culprits may soon be hanged

बिहार की बक्सर जेल को इस सप्ताह के अंत तक फांसी के 10 फंदे तैयार रखने का निर्देश दिया गया है। इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि ये दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया मामले के दोषियों के लिए हो सकते हैं। मीडिया के एक वर्ग द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि...

नेशनल डेस्क (रीतेश मिश्र): बिहार की बक्सर जेल को इस सप्ताह के अंत तक फांसी के 10 फंदे तैयार रखने का निर्देश दिया गया है। इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि ये दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया मामले के दोषियों के लिए हो सकते हैं। मीडिया के एक वर्ग द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में एक चलती बस में एक युवती से दुष्कर्म के 4 दोषियों मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा व पवन गुप्ता को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है। संयोग से निर्भया मामले के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर बिहार के औरंगाबाद जिले का निवासी है। बिहार की बक्सर जेल राज्य की एकमात्र ऐसी जेल है जिसे फांसी का फंदा बनाने में महारत हासिल है। इस आशय का निर्देश पिछले सप्ताह प्राप्त हुआ था। हालांकि जेल प्रशासन को यह नहीं पता कि फांसी के इन फंदों के लिए मांग कहां से और किस उद्देश्य से की गई है।

 

बक्सर जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि हमें पिछले सप्ताह जेल निदेशालय से 14 दिसम्बर तक 10 फांसी के फंदे तैयार करने के निर्देश मिले थे। हमें नहीं पता कि ये कहां इस्तेमाल होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए इस जेल में तैयार किए गए फांसी के फंदे का इस्तेमाल किया गया था। 2016-17 में हमें पटियाला जेल से आदेश मिले थे, हालांकि हम यह नहीं जानते कि किस उद्देश्य के लिए फंदा तैयार करवाया गया था। यहां सबसे अहम है कि जिस जिले में फंदे के लिए रस्सियां तैयार की जा रही हैं वह जिला निर्भया का ननिहाल भी है। यह संयोग ही है कि निर्भया के ननिहाल में बने फंदे आरोपियों की सांस बंद करेंगे। 

 

7200 कच्चे धागों से बनता है एक फंदा 
बक्सर जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने कहा,‘‘बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। उसे तैयार करने में 2 से 3 दिन लग जाते हैं जिस पर 5-6 कैदी काम करते हैं तथा इसकी लट तैयार करने में मोटर चालित मशीन का भी थोड़ा उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछली बार जब यहां से फांसी के फंदे की आपूर्ति की गई थी तो एक की कीमत 1725 रुपए रही थी, पर इस बार 10 फांसी के फंदे तैयार करने के जो निर्देश प्राप्त हुए हैं, उसमें पीतल की बुश जोकि गर्दन में फंसती है, की कीमत में हुए इजाफे के कारण फांसी के फंदे की कीमत में थोड़ी बढ़ौतरी हो सकती है।’’ फांसी की सजा के लिए फंदा सिर्फ बिहार की बक्सर सैंट्रल जेल में ही तैयार होता है। खास बात यह है कि मनीला रस्सी से इस फंदे को वहां के कैदी ही तैयार करते हैं। अंग्रेजों के जमाने में रूई-सुता से इस रस्सी को बनाया जाता था। मनीला रस्सी का निर्माण आज भी पंजाब में होने वाली जे-34 गुणवत्ता वाली रूई की सूत से किया जाता हैै। इसका वजन 3.950 कि.ग्रा. और लम्बाई 6 फीट होती है। बक्सर के अलावा मनीला रस्सी तैयार करने पर पूर्ण प्रतिबंध है। हालांकि अब यह कुछ दूसरी जगहों पर भी तैयार की जाने लगी है। उल्लेखनीय है कि संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु, दुष्कर्म के आरोपी धनंजय चटर्जी को भी बक्सर के केंद्रीय कारागार में मनीला रस्सी से तैयार फंदे से ही फांसी दी गई थी।

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