निर्भया कांड : कानून बदला लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार नहीं, आज भी अंधेरे में डूबा रहता है बस स्टॉप

Edited By shukdev,Updated: 07 Jan, 2020 10:23 PM

nirbhaya scandal law changed but not reformed at ground level

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में 23 साल की निर्भया के साथ वीभत्स सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या को सात साल से ज्यादा का वक्त बीत गया है लेकिन मुनिरका का वह बस स्टैंड जहां से वह अपने दोस्त के साथ बस में चढ़ी थी आज भी अंधेरे में डूबा...

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में 23 साल की निर्भया के साथ वीभत्स सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या को सात साल से ज्यादा का वक्त बीत गया है लेकिन मुनिरका का वह बस स्टैंड जहां से वह अपने दोस्त के साथ बस में चढ़ी थी आज भी अंधेरे में डूबा हुआ है। वहां आज भी महिलाएं फब्तियों और अश्लील निगाहों से घूरने वालों का सामना कर रही हैं। सात साल बाद दिल्ली की एक अदालत द्वारा इस मामले में चार दोषियों के लिए मौत का वारंट जारी किए जाने के बाद एक बार फिर लोगों की नजरें इस बस स्टॉप की तरफ घूम रही हैं। 

अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी सुबह सात बजे फांसी देने का फरमान जारी किया है। इस बस स्टॉप से रोजाना बस लेने वाली महिलाओं ने बताया कि रात नौ बजे के बाद पूरा क्षेत्र गैरकानूनी पार्किंग में बदल जाता है और वहां उन्हें अश्लील टिप्पणियों और लोगों की घूरती नजरों से रोज-रोज दो-चार होना पड़ता है। पहचान बताने की अनिच्छुक 24 वर्षीय एक युवती ने कहा कि उस क्रूर सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद प्रशासन ने सुरक्षा के तमाम वादे किए थे, लेकिन कोई वादा पूरा नहीं हुआ। उसने कहा,‘बस स्टॉप पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और बसों में जीपीएस लगाने की बात हो रही थी, लेकिन यह बस स्टॉप अभी भी ‘भूतों का डेरा' बना हुआ है।'

युवती ने कहा,‘मैं अपने काम के सिलसिले में पूरी दिल्ली में यात्रा करती हूं, लेकिन रहती मुनिरका गांव में हूं। मेरे माता-पिता को उस वक्त ज्यादा चिंता नहीं होती जब मैं बाकी हिस्सों में होती हूं, लेकिन जब यहां आती हूं तो उन्हें ज्यादा चिंता रहती है। मैं जैसे ही यहां उतरती हूं, किसी को मुझे लेने आना पड़ता है।'‘निर्भया' के छद्म नाम से जानी जाने वाली फिजियोथेरेपी इंटर्न जब 16 दिसंबर, 2012 की रात अपने दोस्त के साथ बस में चढ़ी थी तो उसकी उम्र कुछ 23 साल की थी। उस रात राजधानी की सड़कों पर चलती बस में एक नाबालिग सहित छह लोगों ने 23 वर्षीय युवती के साथ ना सिर्फ सामूहिक बलात्कार किया बल्कि वहशियत की सारी हदें पार कर ली और उसे सड़क पर फेंक कर फरार हो गए। उसकी हालत इतनी खराब थी कि दिल्ली के एम्स और सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के तमाम प्रयासों के बावजूद एक पखवाड़े में उसने दम तोड़ दिया।

घटना में पीड़िता के दोस्त को भी मारा-पीटा गया था। घटना को सात साल से ज्यादा हो चुके हैं, और ग्रीन पार्क में ब्यूटिशियन का काम करने वाली 27 वर्षीय रानी कुमारी ने बताया कि रोज रात नौ बजे के बाद यह बस स्टॉप अवैध पार्किंग में बदल जाता है और वहां जमा हुए लोगों की फब्तियों से बचना रोज की चुनौती होती है। रानी ने बताया, ‘काम खत्म करके मैं रोज मुनिरका तक बस से आती हूं। जब बस से उतरती हूं तो यहां कई ऑटो खड़े होते हैं। ऐसे में ऑटो चालकों की घूरती हुई नजरों से बचना मुश्किल होता है।' उसने कहा,‘सबसे बुरी बात यह है कि वे आपको घर तक ले जाने से भी मना कर देते हैं, कहते हैं कि उनका दिन का काम खत्म हो गया है। लेकिन फब्तियां कसने और आप जब घर जा रही हों तो आपका पीछा करने में वह नहीं थकते हैं।'

35 वर्षीय मीना भी कुछ ऐसा ही कहती हैं। मीना ने कहा,‘सरकार कहती है कि अगर कोई ऑटो चालक रात को चलने से मना करता है तो आप शिकायत कर सकते हैं। एक दिन मैं बस स्टॉप पर जबरन ऑटो में बैठ गई। ड्राइवर से कहा कि वह मुझे छोड़ने से इंकार नहीं कर सकता है, वरना मैं शिकायत कर दूंगी।' उसने कहा,‘ड्राइवर ने कहा कि उसके ऑटो में पर्याप्त सीएनजी नहीं है। मैं जानती थी कि वह झूठ बोल रहा है, लेकिन मेरे पास उतरकर अंधेरे में अकेले घर जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।' राजधानी की सड़कों पर हुए उस वीभत्स सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड ने देश का बलात्कार कानून बदलवा दिया, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!