बजट के बहाने 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों पर निशाना

Edited By Anil dev,Updated: 06 Jul, 2019 10:10 AM

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट पेश किया। यह उनका पहला बजट था। अर्थव्यवस्था में जान फूंकना, किफायती घरों को प्रोत्साहित करना और पारदशिता बढ़ाना उनके एजैंडे पर रहा।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट पेश किया। यह उनका पहला बजट था। अर्थव्यवस्था में जान फूंकना, किफायती घरों को प्रोत्साहित करना और पारदशिता बढ़ाना उनके एजैंडे पर रहा। बजट में किसी भी वर्ग पर कोई बोझ नहीं डाला गया है। राजनीति के माहिर इस बजट को इस साल के अंत में और नव वर्ष की शुरूआत में 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ जोड़कर देख रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावों से पहले कई लोक लुभावन योजनाओं की घोषणा होती रही है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। 

वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट गांव, गरीब और किसानों पर आधारित है। महिलाओं के सशक्तिकरण, उनके रोजगार और युवाओं के रोजगार की बात बजट में की गई है ताकि युवाओं को रोजगार के बेहतर मौके मिलें। 2022 तक हर व्यक्ति को घर दिलाने की बात कही गई है। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट आगामी छह महीनों के भीतर होने वाले विधानसभाओं के चुनावों को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए चुनावों में किसानों की तरफ ध्यान नहीं देने का खमियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा था। भले ही कुछ राज्यों में भाजपा सरकार बनाने में सफल रही लेकिन किसानों की नाराजगी साफ देखने को मिली थी। 

वहीं युवाओं को नौकरियां देने में भी सरकार असफल रही थी। अब सितम्बर-अक्तूबर माह में हरियाणा और महाराष्ट्र और नवम्बर-दिसम्बर में झारखंड विधानसभा के चुनाव होने हैं।  इसी तरह फरवरी महीने में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हैं। इसलिए सभी वर्गों को ध्यान में रखकर बजट तैयार किया गया है। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें  3 राज्यों में पहले ही भाजपा की सरकार है, जबकि अकेले दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। राजनीति के माहिरों की मानें तो इस बजट में भाजपा की नजर 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है और इन चारों राज्यों पर भाजपा अपने मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।  

हरियाणा विधानसभा  कुल सीटें 90
हरियाणा विधानसभा में इसी वर्ष सितम्बर-अक्तूबर महीने में चुनाव होने हैं और वर्तमान में मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं। चुनावों की घोषणा अगस्त माह में कभी भी हो सकती है। इसी वर्ष मई महीने में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है जबकि हरियाणा विधानसभा में पहले ही भाजपा नीत एन.डी.ए. सरकार सत्तासीन है। 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में एन.डी.ए. 47 सीटें जीतने में सफल रही थी जबकि इससे पहले सत्तासीन कांग्रेस पार्टी 15 और इनैलोद 19 सीटों पर सिमट गई थीं। 

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महाराष्ट्र विधानसभा  कुल सीटें 288
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए इसी वर्ष सितम्बर-अक्तूबर महीने में चुनाव होने हैं और वर्तमान में देवेन्द्र फडऩवीस यहां के मुख्यमंत्री हैं। हरियाणा के साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनावों की घोषणा अगस्त माह में हो सकती है। इसी वर्ष मई महीने में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 41 सीटों पर भाजपा चुनाव जीतने में सफल रही थी जबकि महाराष्ट्र विधानसभा में पहले ही भाजपा नीत एन.डी.ए. सरकार सत्तासीन है। 2014 में हुआ विधानसभा चुनावों में भाजपा 122 सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना 63 सीटें और कांग्रेस यहां से 42 सीटें जीत पाई थी। कांग्रेस को महाराष्ट्र में 40 सीटों का नुक्सान हुआ था।

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झारखंड विधानसभा  कुल सीटें 81
झारखंड विधानसभा के लिए इसी वर्ष नवम्बर-दिसम्बर महीने में चुनाव होने हैं और वर्तमान में भाजपा के रघुबर दास यहां के मुख्यमंत्री हैं। झारखंड विधानसभा के लिए चुनावों की घोषणा हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभाओं के चुनावों के साथ हो सकती है। इसका कारण एन.डी.ए. सरकार देश में एक चुनाव चाहती है, वहीं हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को देश में बड़ी जीत हासिल हुई है। लोकसभा चुनावों में झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की जबकि कांग्रेस को यहां से 2 सीटें ही मिलीं। 2009 में शिबू सोरेन ने झारखंड विधानसभा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी लेकिन जल्द ही यहां पर प्रैजीडैंट रूल लागू हो गया। इसके बाद सरकार की कमान भाजपा के अर्जुन मुंडा के हाथ आई लेकिन वह भी करीब अढ़ाई साल ही शासन कर सके। 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा 43 सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा 19 पर सिमट कर रह गया। 
 

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