नितिन गडकरी का बड़ा बयान, कहा- सरकार ने टोल टैक्स से वसूले 1.44 लाख करोड़

Edited By Parminder Kaur,Updated: 29 Nov, 2024 12:22 PM

nitin gadkari said government collected 1 44 lakh crores from toll tax

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत चलने वाले टोल प्लाजा से 1.44 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है। यह कमाई दिसंबर 2000 से अब तक...

नेशनल डेस्क. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत चलने वाले टोल प्लाजा से 1.44 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है। यह कमाई दिसंबर 2000 से अब तक हुई है। उन्होंने बताया कि सभी टोल प्लाजा को राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 और संबंधित रियायत समझौते के अनुसार स्थापित किया गया है।

नितिन गडकरी ने फास्टैग और GNSS सिस्टम पर कही ये बात 

नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक और सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने फास्टैग के साथ एक नया फीचर पेश किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली का हिस्सा है। इसके जरिए सरकार ने 'मुक्त टोलिंग' की शुरुआत की है, जिससे टोल कलेक्शन और भी सरल हो जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS)-आधारित टोलिंग प्रणाली राष्ट्रीय राजमार्गों पर कहीं भी लागू नहीं की गई है।

GNSS सिस्टम के लागू होने पर क्या होगा?

गडकरी ने बताया कि एनएच शुल्क नियम 2008 में 9 सितंबर 2024 को संशोधन किया गया है ताकि ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) के जरिए GNSS-आधारित टोलिंग प्रणाली को सक्षम किया जा सके। इसका मतलब है कि अगर किसी वाहन में वैध और कार्यात्मक GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट नहीं होगी, तो उस वाहन के मालिक को उस टोल प्लाजा पर उस श्रेणी के वाहन के लिए लागू शुल्क का दोगुना भुगतान करना होगा।

GNSS से टोल संग्रहण कैसे होगा?

GNSS-आधारित टोल संग्रहण प्रणाली के तहत टोल का भुगतान यात्रा की वास्तविक दूरी के आधार पर किया जाएगा। इसका मतलब है कि जिस दूरी तक वाहन ने राष्ट्रीय राजमार्ग या एक्सप्रेसवे पर यात्रा की होगी, उस हिसाब से टोल शुल्क वसूला जाएगा। फिलहाल, वर्तमान प्रणाली में टोल केवल टोल प्लाजा की परियोजना प्रभाव लंबाई के आधार पर एकत्र किया जाता है।

GNSS सिस्टम क्या है?

GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) एक सैटेलाइट आधारित तकनीक है, जिसे भारत में टोल टैक्स वसूलने के लिए लागू किया जाएगा। इस प्रणाली में सैटेलाइट के माध्यम से वाहन की यात्रा को ट्रैक किया जाएगा और उस ट्रैकिंग के आधार पर यात्रा की गई दूरी के हिसाब से टोल टैक्स लिया जाएगा।

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