Edited By Yaspal,Updated: 10 Aug, 2024 07:44 PM
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पंजाब सरकार को पत्र लिखकर चेतावनी दी है। गडकरी ने राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखे पत्र में कहा कि अगर कानून व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो 14,300 करोड़ रुपये की लागत वाली 8 परियोजनाओं को...
नई दिल्लीः पंजाब में अगर कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो एनएचएआई के पास राज्य की आठ राजमार्ग परियोजनाओं को रद्द या बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखे पत्र में यह चेतावनी दी है। इस परियोजनाओं की कुल लंबाई 293 किलोमीटर है और लागत 14,288 करोड़ रुपये है।
गडकरी ने कहा कि उन्हें दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे परियोजनाओं पर हाल में हुई दो घटनाओं के बारे में जानकारी दी गई है। उन्होंने नौ अगस्त को लिखे अपने पत्र में कहा, ''जालंधर जिले में एक घटना में ठेकेदार के इंजीनियर पर बेरहमी से हमला किया गया। हालांकि, इस संबंध में एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।'' मंत्री ने लुधियाना जिले में एक और घटना की ओर इशारा किया, जहां दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे के ठेकेदार के परियोजना कैंप पर उपद्रवियों ने हमला किया और इंजीनियरों को धमकी दी। इस घटना में एनएचएआई अधिकारियों के लिखित अनुरोध के बावजूद अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है और उपद्रवियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
इंजीनियर की पिटाई
गडकरी ने लिखा कि जालंधर में एक इंजीनियर को बुरी तरह पीटा गया। इस मामले में शिकायत तो दर्ज हुई है, लेकिन कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। दूसरा मामला लुधियाना का है, जहां एक्सप्रेस वे कॉन्ट्रैक्टर के प्रोजेक्ट कैंप पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। इंजीनियर को कैंप और सभी कर्मचारियों को जलाने की धमकी दी गई। लिखित शिकायत के बावजूद अब तक मामला नहीं दर्ज किया गया है। नितिन गडकरी ने आरोपियों के खिलाफ तुरंत कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि मीटिंग में जमीन अधिग्रहण और कानून व्यवस्था बेहतर करने की बात कही गई थी। हालांकि, अब तक इसमें कोई तरक्की नहीं हुई है।
गडकरी ने कहा, ''यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो एनएचएआई के पास 14,288 करोड़ रुपये की लागत और 293 किलोमीटर की कुल लंबाई वाली आठ अन्य गंभीर रूप से प्रभावित परियोजनाओं को रद्द/ बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।'' उन्होंने लिखा कि यह ध्यान देने योग्य है कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित लंबित मुद्दों और मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण कई ठेकेदारों ने अनुबंधों को बंद करने का अनुरोध किया है और एनएचएआई के खिलाफ दावे किए हैं।