शरीफ की बर्खास्तगी: भारत के साथ रिश्तों पर नहीं पड़ेगा कोई असर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jul, 2017 12:32 PM

no impact on indo pak relations after nawaz sharif s resignation

अदालती सत्ता पलट के शिकार हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पद त्यागने से पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का एक नया दौर आएगा।

नई दिल्ली: अदालती सत्ता पलट के शिकार हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ  के पद त्यागने से पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का एक नया दौर आएगा। पाकिस्तान के इस घरेलू राजनीतिक संकट पर भारतीय राजनयिक और सुरक्षा हलकों की नजदीकी नजर है। भारतीय आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान का यह अंदरूनी मामला है इसलिए इस पर भारत कोई टिप्पणी नहीं कर सकता लेकिन भारत के पड़ोस में राजनीतिक अस्थिरता हमारे लिए चिंता की बात जरूर है। चूंकि पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पी.एम.एल.-एन. पार्टी की सरकार बनी रहेगी इसलिए भारत के प्रति नीति में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं आएगा।

यहां राजनयिक सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की नागरिक सरकारों के बदलने से भारत नीति पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि पाकिस्तान की विदेश और रक्षा नीति पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालय रावलपिंडी से ही संचालित होती है। पिछले साल पनामा पेपर्स का खुलासा होने के बाद से नवाज शरीफ की सरकार डगमगाने लगी थी। इसलिए अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाने के लिए नवाज भारत के खिलाफ कुछ ज्यादा ही बोलने लगे थे। हालांकि पाकिस्तान में उन्हें भारत का हमदर्द भी कहा जाता है। 2015 के दिसम्बर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री शरीफ  से जब लाहौर का निमंत्रण हासिल कर लिया था तब पाकिस्तान के सैन्य हलकों में इसकी ङ्क्षनदा भी की गई थी।

मोदी के लाहौर जाने पर भारत और पाकिस्तान के राजनयिक हलकों में हैरानी पैदा हुई थी और इससे यह उम्मीद पैदा होने लगी थी कि भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने का माहौल बनेगा लेकिन पाकिस्तानी सेना ने इस पर ब्रेक लगा दी और कुछ दिनों बाद ही पठानकोट में भारतीय वायुसैनिक अड्डे पर आतंकवादी हमला करवा दिया। इसके बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार खराब होते गए।

पाकिस्तान की सेना ने आग में घी डालने का काम करते हुए जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर 2003 के संघर्ष विराम समझौते का लगातार उल्लंघन करना शुरू कर दिया। पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह वही नवाज शरीफ  हैं जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ 1999 में लौहार समझौता किया था जिसकी भारत बार-बार याद दिलाता है और पाकिस्तान में लोग इसे भूलने की कोशिश करते हैं। इसलिए नवाज शरीफ  के जाने के बाद भारत से रिश्ते बेहतर होंगे या बिगड़ेंगे, इसका जवाब यही होगा कि भारत के साथ रिश्तों जस के तस बने रहेंगे।

रावलपिंडी में तैयार होती है पाक की विदेश नीति
यह सभी को पता है कि पाकिस्तान की विदेश नीति खासकर भारत नीति रावलपिंडी में ही तैयार होती है और पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय केवल इसे अमल में लाता है। फिर भी भारत में यह माना जाता रहा है कि पाकिस्तानी सेना के दबाव के बावजूद नवाज शरीफ  भारत के साथ आॢथक व व्यापारिक रिश्तों को गहरा बनाना चाहते थे लेकिन पाकिस्तानी सेना और कट्टरपंथी ताकतों ने इसे कामयाब नहीं होने दिया। सभी सामरिक मसलों खासकर भारत से जुड़े मुद्दों पर नवाज शरीफ  को निर्णय लेने के तंत्र से पूरी तरह बाहर ही रखा गया। इसलिए भारत से रिश्ते बेहतर करने में नवाज शरीफ  की भूमिका बनने के पहले ही उनके पर कतर दिए गए।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!