Edited By Monika Jamwal,Updated: 03 Jun, 2020 01:42 PM
कोरोना संकट के चलते अधिकाँश प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों को वापस लौट चुके हंैं और रोपाई के सीजन में हर साल आने वाले श्रमिक इस बार नहीं आए हैं, ऐसे में जिले के सीमावर्ती इलाकों में धान की खेती करने वाले हजारों किसानों को परेशानी का सामना करना पड़...
साम्बा : कोरोना संकट के चलते अधिकाँश प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों को वापस लौट चुके हंैं और रोपाई के सीजन में हर साल आने वाले श्रमिक इस बार नहीं आए हैं, ऐसे में जिले के सीमावर्ती इलाकों में धान की खेती करने वाले हजारों किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धान का सीजन सर पर है लेकिन मजदूर उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में कृषि विभाग द्वारा सबसिडी पर उपलब्ध कराई जा रही पैडी सीड ड्रिल (जीरो टिलेज) मशीन किसानों की मुश्किल को काफी हद तक आसान बना रही है। इस मशीन से रोपाई की बजाए सीधी बिजाई की जाती है जिससे समय बचता है और पैदावार बढ़ती है।
बार्डर किसान यूनीयन-रामगढ़ के चेयरमैन मोहन सिंह भट्टी का कहना है कि सरकार की मदद से मिली इन मशीनों से किसान पहली धान की बिजाई कर रहे हैं और यदि यह प्रयोग सफल रहा तो आने वाले समय में भी किसानों को राहत मिलेगी। गौरतलब है कि जिले में लगभग 25-26 हजार एकड़ भूमि पर हर साल धान की फसल लगाई जाती है।
किसान यूनीयन अध्यक्ष भट्टी ने बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार ने किसानों की सहायता के लिए इन मशीन खरीदने वालों की सहायता के लिए 50 प्रतिशत सबसिडी देने का ऐलान किया है। इसकी शुरुआत ब्लॉक रामगढ़ में पांच सीड ड्रिल मशीनें देकर की गई। गाँव जेरड़ा में नंबरदार जागीर सिंह ने आज इसी सीड ड्रिल से धान की बिजाई शुरू की। किसानों ने बताया कि हालांकि वह गेंहू भी लगाते हैं लेकिन उससे केवल उनका खर्च ही निकलता है जबकि धान की पैदावार उनके साल भर के नुक्सान की भरपाई कर देती है इसलिए धान पर उनका विशेष फोकस रहता है। बार्डर किसान यूनीयन ने सरकार से यह भी मांग की है कि फसल का रेट तय करने का हक किसान को दिया जाए क्योंकि फसल के अलावा हर चीज का रेट उसका मालिक तय करते हैं, ऐसे में किसान को भी यह हक दिया जाए।