राकेश टिकैत केन्द्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- अब किसान और बंटने वाला नहीं

Edited By Pardeep,Updated: 23 Mar, 2021 09:40 PM

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किसान नेता राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों को केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि उसने लोगों को जाति, धर्म में बांटा लेकिन अब किसान बंटने वाला नहीं है और जरूरत पड़ी तो वह संसद में भी अपनी फसल बेचकर दिखाएगा

नई दिल्ली/जयपुरः किसान नेता राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों को केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि उसने लोगों को जाति, धर्म में बांटा लेकिन अब किसान बंटने वाला नहीं है और जरूरत पड़ी तो वह संसद में भी अपनी फसल बेचकर दिखाएगा। टिकैत मंगलवार को जयपुर में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘इन्होंने जाति में बांटा, धर्म में बांटा.. अब किसान बंटने वाला नहीं है। किसानों को जब बताया जाये तभी उसे दिल्ली की तरफ चलना पड़ेगा। दिल्ली के बैरिकेडिंग फिर तोड़ने पडेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान अपनी फसल को कहीं भी बेच सकता है। हम कहीं पर भी बेच कर दिखाएंगे। मंडी के बाहर बेच कर दिखाएंगे, जो भारत सरकार का रेट है उस पर बेच कर दिखायेंगे और संसद पर अपनी फसल बेच कर दिखाएंगे।'' 

केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश में आंदोलन शुरू हो चुके हैं आपको जागना पड़ेगा खासकर युवा साथियों की बड़ी जिम्मेदारी है कि आप चलो.. बढो.. जागो.. उठो और लड़ो। उन्होंने कहा कि इस देश में जय राम और जय भीम के नारे इकठ्ठे लगेंगे तभी देश बचेगा नहीं तो देश लुट गया। 

टिकैत ने इस अवसर राजाराम मील को भारतीय किसान यूनियन का प्रदेशाध्यक्ष व झाबर सिंह को राष्ट्रीय सचिव नियुक्त करने की घोषण की। इससे पहले योगेन्द्र यादव ने किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि आज इस देश का प्रतिपक्ष किसानों के साथ सिंघू, टिकरी, गाजीपुर, शाहजंहापुर सीमाओं पर है। 

उन्होंने कहा कि देश का किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की कागजी घोषणा नहीं चाहता अब इसे एक कानूनी गारंटी के रूप में चाहते है। उन्होंने कहा कि यह किसान आंदोलन सफल हो चुका है इस ऐतिहासिक आंदोलन ने तीन ऐसी सफलताएं हासिल की हैं जो इससे पहले के 30-40-50 साल के आंदोलनों में हासिल नहीं की। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने किसान के आत्मसम्मान को लौटाया है। इस आंदोलन ने किसान की राजनैतिक हैसियत बताई है। इस आंदोलन ने किसान को एक कर दिया। किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि आर्थिक गुलामी का दौर आज इस देश में है जिस तरह से शिकंजा कसता जा रहा है तमाम वर्ग यह ठीक है कि इस लडाई की अगुवाई किसानों ने की। 

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