Exclusive interview: आतंक के साए में पाक से बातचीत नहीं- राहुल गांधी

Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Mar, 2019 10:34 AM

no talks with pakistan in the shadow of terror rahul gandhi

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी देश के सबसे बड़े चुनावी समर के लिए कमर कसकर पूरी तरह से तैयार हैं। अपने भाषणों में वह सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को निशाना बना रहे हैं।

नई दिल्ली (अकु श्रीवास्तव व शेषमणि शुक्ल): कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी देश के सबसे बड़े चुनावी समर के लिए कमर कसकर पूरी तरह से तैयार हैं। अपने भाषणों में वह सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को निशाना बना रहे हैं। भाजपा की केन्द्र सरकार में भ्रष्टाचार, राफेल घोटाला, आतंकवाद, जी.एस.टी., नोटबंदी, बेरोजगारी, किसानों की कर्ज माफी, कालाधन आदि मुद्दों को लेकर वह लगातार आक्रामक हैं। भाजपा सरकार को पूरी तरह से फेल मानते हुए वह साफ कहते हैं कि कई बड़ी गलतियां इस सरकार में हुई हैं। उनकी सरकार आने के बाद वह यह सब ठीक करेंगे। पंजाब केसरी, जगबाणी, हिंद समाचार, नवोदय टाइम्स से राहुल गांधी ने हर विषय पर खुलकर बातचीत की और लोकसभा चुनावों को लेकर अपने पक्के इरादे जाहिर किए। प्रस्तुत हैं अकु श्रीवास्तव व शेषमणि शुक्ल से बातचीत के प्रमुख अंश:

अब जब आप 2019 के चुनाव से पहले लगभग पूरा देश घूम चुके हैं तो आपको इस चुनाव में क्या नैरेटिव नजर आ रहा है?
हिन्दुस्तान में सबसे प्रमुख मुद्दा रोजगार का है। किसान-मजदूर पर छाए संकट का है। बेरोजगारी चरम सीमा पर है। हर नौजवान को काम, किसान को फसलों का सही दाम, छोटे दुकानदार-उद्यमी को सुरक्षा और सम्मान ही आज के वक्त की जरूरत है। दूसरी तरफ दलितों और पिछड़ों के अधिकारों पर हमला हो रहा है। सरकार की आर्थिक नीतियां, कृषि नीतियों की विफलता, चौतरफा भ्रष्टाचार, नोटबंदी का घोटाला, जी.एस.टी. की मार, राफेल का गड़बड़झाला-यही आने वाले चुनाव के मुख्य मुद्दे बनने जा रहे हैं।

रोजगार देने के मामले में आप प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों को लेकर काफी हमलावर रहे हैं। आप भी इस मामले में वादा करते रहे हैं। सवाल है कि कैसे करेंगे?
2014 से पहले हिन्दुस्तान एक सधे रास्ते पर चल रहा था। हमारे छोटे और मध्यम व्यापार, जिसे ‘इनफॉर्मल सैक्टर’ कहते हैं, से ही रोजगार का सबसे बड़ा हिस्सा देश को मिलता है। इस व्यवस्था पर मोदी जी ने दो घातक झटके मारे-एक, नोटबन्दी और दूसरा बिना सोच-समझ के एक उलझे हुए जी.एस.टी. को लागू करके। नौकरी देने की बजाय, मोदी जी ने एक झटके में 12 लाख से ज्यादा नौकरियां खत्म कर दीं। नोटबंदी का सीधा प्रभाव और बर्बादी तो सबने देखी, पर अपरोक्ष रूप से उसका असर यह पड़ा कि इन्फॉर्मल सैक्टर और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धज्जियां उड़ गईं। अब कैसे रोजगार देंगे? तो, सबसे पहले जनता की कमर तोडऩे वाली इन दोषपूर्ण नीतियों को ठीक करेंगे। देश में रोजगार उत्पन्न करने का एक ही रास्ता है- मध्यम और छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन, इन्फॉर्मल सेक्टर के लिए बैंकों के दरवाजे खोलना तथा हिंदुस्तान के करोड़ों युवाओं के गुणों को पहचान कर उनको नए मौके देना। यहीं से रोजगार के अवसर बनेंगे। 

बड़े व्यापारिक घरानों को लेकर आप अक्सर हमलावर रहे हैं। कुछ और स्पष्ट करेंगे?
भाजपा की सरकार का समर्थन केवल 15-20 अपने मित्र उद्योगपतियों को है, न कि देश के लोगों को। कुछ ही दिन पहले आपने देखा कि 6 में से 5 हवाई अड्डे मोदी जी के एक मित्र उद्योगपति को मिल गए। झारखंड में उसी व्यक्ति को हजारों करोड़ का तोहफा दे दिया गया। हिन्दुस्तान में लगभग 10 लाख करोड़ का एन.पी.ए. है। उनमें से छोटे-मध्यम व्यापारियों का हिस्सा बहुत कम है। पर क्या नरेंद्र मोदी जी उनको कर्ज से राहत दे रहे हैं? जवाब न में है। दूसरी तरफ नीरव मोदी व मेहुल चोकसी देश का हजारों करोड़ रुपया लेकर भाग गए। आप छोटे व मध्यम व्यापारी को परेशान करते हैं और अपने चहेते नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे लोगों को देश से भाग जाने का मौका देते हैं। मैं मानता हूं कि देश में बड़े उद्योगों की भी जगह है, परंतु एक उद्योगपति की निरंकुश ताकत के आगे छोटे और मध्यम व्यापारियों को खत्म कर देना सही नहीं। पहले, जीएसटी का मतलब था, ‘वन नेशन वन टैक्स’। आपने इसे भी ‘वन नेशन, फाइव टैक्स’ बना दिया। उद्योगपतियों और दुकानदारों के लिए यह केवल जटिलता, कठिनाई व भ्रष्टाचार का सबब बन गया। आपने हर छोटे और मध्यम स्तर के उद्यमी व दुकानदार को इन्कम टैक्स डिपार्टमैंट व इंस्पैक्टर राज के नीचे दबा दिया। व्यापार और रोजगार पर यह जो आक्रमण हुआ है, हम उसे ठीक करेंगे। जी.एस.टी. में सुधार करेंगे। छोटे-मध्यम व्यापारी और दुकानदार का हम साथ देंगे। जो भी ईमानदारी से काम कर रहा है, उसे करने की पूरी इजाजत मिले, यह सुनिश्चित करना हमारा काम है।

कृषि बीमा पर क्या आपत्ति है?
एक तरफ आप कृषि बीमा का पैसा लेते हो, तो दूसरी तरफ उस पैसे से प्राइवेट बीमा कंपनियों को मुनाफा देते हो। किसान को क्या मिल रहा है? उदाहरण के तौर पर पूरा जम्मू-कश्मीर का बीमा अनिल अंबानी की कंपनी को दे डाला गया। यह बीमा की मूलभूत सोच के विरुद्ध है क्योंकि बीमा कंपनियों में कम्पीटीशन जरूरी है। परंतु यहां सोच यह है कि किसान की जेब से निकालो और प्राइवेट बीमा कंपनियों की जेब में डालो। हम किसान से कहना चाहते हैं कि घबराइए मत। आपका कर्ज भी माफ होगा और सही दाम के लिए हम खेतीबाड़ी की कोल्ड चेन भी बनाएंगे। किसान के उत्पादों को बिक्री के लिए दुनिया की अर्थव्यवस्था से जोड़ेंगे।

राफेल मामले को लेकर आप काफी आक्रामक हैं। आम जनता से इस पर क्या रिस्पॉन्स मिल रहा है?
मोदी जी ने कहा था कि मैं देश का चौकीदार हूं। हमने साफ तौर से दिखा दिया कि राफेल जहाज खरीद में देश के खजाने से चोरी हुई है। एक प्रमुख समाचारपत्र ने बताया कि कैसे मोदी जी ने रक्षा मंत्रालय-कानून मंत्रालय के एतराज के बावजूद सबको दरकिनार कर दिया। क्या कारण है कि प्रधानमंत्री कार्यालय खुद जहाज खरीदने का मोल-भाव कर रहा था? केवल एक ही जवाब है कि राफेल खरीद में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ। यहां तक कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि मोदी जी ने उन्हें अनिल अंबानी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए कहा। क्या यह भ्रष्टाचार नहीं? विपक्ष के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि जब सरकार भ्रष्टाचारी काम कर रही है, तो उसे उजागर करना चाहिए।


युवाओं में सरकारी नौकरियों के लिए बहुत सारी चाहत है, आपकी क्या योजना है?
दो मुख्य बातें हैं। मौजूदा सरकार हर चीज का समूचा निजीकरण कर रही है। भाजपा सरकार ने पूरी शिक्षा व्यवस्था का निजीकरण कर दिया। पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था का निजीकरण कर दिया। यहां तक कि रक्षा क्षेत्र का भी आप निजीकरण कर रहे हैं तथा एच.ए.एल. जैसी दशकों पुरानी जहाज बनाने वाली सरकारी कंपनी पर ताला लगा रहे हैं। हमारी सोच थोड़ी अलग है। हमारी सोच में प्राइवेट सैक्टर की जगह है, मगर कुछ मूलभूत जिम्मेदारियां सरकार को ही निभानी पड़ेंगी। उदाहरण के तौर पर, देश के सबसे बेहतरीन संस्थान-आई.आई.टी., आई.आई.एम., एम्स आदि सरकारी क्षेत्र के संस्थान हैं। बुनियादी शिक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी मांग हैं और सरकार को इन सेवाओं में सबसे ज्यादा ध्यान देकर निवेश करना होगा। जब आप स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सरकारी निवेश करेंगे, तो स्वाभाविक तौर से साधारण और गरीब आदमी के लिए रोजगार के अवसर भी बनेंगे और अच्छी सेवा भी होगी। मैडिकल को लेकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती और मोदी सरकार इससे हमेशा पीछे हटती रही है। मेक इन इंडिया को बड़ी धूमधाम से शुरू किया गया, पर हाल बुरा रहा। आंकड़े कहते हैं कि सरकार बमुश्किल रोज 450 युवाओं को ही नौकरी दे पाती है, वादा था 2 करोड़ रोजगार हर साल देने का। जबकि चीन हर रोज 50,000 नए रोजगार उत्पन्न कर रहा है। हमको तो तुलना चीन से ही करनी होगी।

आपने एक बिल्कुल अलग मिनिमम इन्कम गारंटी स्कीम की घोषणा की है। इसे कैसे लागू करेंगे?
देश के साधारण लोगों को आय की गारंटी देने वाली इस योजना पर हम कई महीनों से काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि हिन्दुस्तान में गरीब से गरीब व्यक्ति को भी सरकार के संसाधनों से आय का अधिकार होना चाहिए। तभी बराबरी का दर्जा मिल पाएगा। देश के हर व्यक्ति को एक लैवल की आय गारंटी हो और इसके लिए सारा पैसा सरकार हर व्यक्ति के बैंक अकाऊंट में सीधे डाले। मैं विश्वास दिलाता हूं कि यह पैसा मोदी सरकार द्वारा किसानों को दिए जा रहे घोषित 3.5 रुपए रोज से कई गुना बेहतर होगा। ज्यादा खुलासा बाद में करेंगे।

आखिर कश्मीर समस्या का क्या समाधान है?
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने, शांति बहाली करने और आम जनता को देश की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए हमने एक रणनीति के तहत कांग्रेसनीत यू.पी.ए. सरकार में काम किया था। डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में एक पूरी टीम थी, जिसमें मैं भी शामिल था, चिदंबरम जी भी, जयराम जी भी और कई लोग थे। 2004 से 2014 तक अगर आप कश्मीर की स्थिति को देखें, तो हिंसा और आतंकवाद की वारदातों में लगातार गिरावट आई थी। हमने पंचायतीराज चुनाव करवाए, ताकि जमीनी प्रजातंत्र मजबूत हो। हम रतन टाटा के टाटा समूह समेत कई बड़े-बड़े उद्योग समूहों को जम्मू-कश्मीर लेकर गए, ताकि निजी क्षेत्र और स्वरोजगार के मौके बढ़ें। 2013-14 में जम्मू-कश्मीर में ङ्क्षहसा इस देश का मुद्दा नहीं था, यही हमारी कामयाबी थी। लेकिन आज कश्मीर की हालत किसी से छिपी नहीं है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद, हमने अरुण जेतली को आगाह किया कि पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन ने उन्हें सत्ता में तो ला दिया परंतु कश्मीर की शांति को पूरी तरह से चकनाचूर कर दिया। लेकिन उनका ख्याल था कि कश्मीर में कोई समस्या नहीं। अगर समस्या नहीं, तो मोदी सरकार के 56 महीने में हमारे 500 के करीब जवान क्यों शहीद हो गए? पाकिस्तान से सीमा और एल.ओ.सी. पर सीजफायर वायलेशन की घटनाएं यू.पी.ए. की तुलना में 632 से लगभग 10 गुना बढ़कर 5660 हो गईं।

पुलवामा की घटना को किस तरह से देखते हैं?
पुलवामा में हमारे 40 जवान शहीद हुए। इस उग्रवादी घटना के लिए जहां पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी जिम्मेदार हैं, तो दूसरी तरफ मोदी सरकार की भी राष्ट्रीय सुरक्षा और इंटैलीजैंस की विफलता इसके लिए जिम्मेदार है। सच यह है कि भाजपा की ढुलमुल नीतियों के चलते ही पाकिस्तान यह दुस्साहस कर पाया तथा जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं इतनी बढ़ गईं। प्रधानमंत्री अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते हैं। उन्हें इसका अहसास होना चाहिए।

क्या पाकिस्तान से बातचीत शुरू करनी चाहिए?
आज की स्थिति में तो बिल्कुल नहीं। आतंक के साए में सार्थक बातचीत कैसे हो सकती है?

पंजाब में अमरेन्द्र सरकार को लेकर आप क्या सोचते हैं?
पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में हमारी सरकार ने अच्छा काम किया है। हमारी उपलब्धियां कई हैं। मैं सिर्फ 3 बातों पर ध्यान केंद्रित करूंगा। अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। राजकोषीय घाटा 2016-17 में 12.36 प्रतिशत से घटकर 2017-18 में 2.65 प्रतिशत हो गया है। सकल राज्य घरेलू उत्पाद (2017-18) में 21 प्रतिशत की वृद्धि है। नशे के खिलाफ सरकार ने निर्णायक कदम उठाए हैं। 25,000 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए व 556 किलोग्राम से अधिक हैरोइन जब्त की गई है। नशीली दवाओं के इस्तेमाल और पैडलर्स के खिलाफ हमने जीरो टॉलरैंस की नीति लागू की है। हमने छोटे और सीमांत किसानों (5 एकड़ तक) का 2 लाख या उससे कम तक का कृषि ऋण माफ किया है, जिससे कि 8.5 लाख किसानों को फायदा मिला है।

कांग्रेस महिलाओं को लेकर बात तो बहुत करती है, पर हक के सवाल पर आपका क्या कहना है?
हम महिला आरक्षण बिल को पारित करने के प्रति संकल्पबद्ध हैं। महिलाओं को हम नेतृत्व की पहली पंक्ति में देखना चाहते हैं। पंजाब में हमने पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया है। पार्टी में भी हम महिलाओं को उचित सम्मान दे रहे हैं और आगे भी देते रहेंगे।

कांग्रेस आर्थिक फ्रंट पर मोदी सरकार को कैसे देखती है?
मोदीजी से न व्यवस्था संभली है न अर्थव्यवस्था। मोदी जी कहते थे कि 100 दिन में 80 लाख करोड़ कालाधन वापस लाएंगे। वह तो आया नहीं, उलटा नीरव मोदी, मेहुल चोकसी समेत बैंकों के भगौड़े देश का 1 लाख करोड़ लेकर भाग गए। मोदी सरकार की नीतियों के चलते ही दो-दो रिजर्व बैंक के गवर्नर व मुख्य आॢथक सलाहकार को इस्तीफा देना पड़ा। सच यह है कि पूरे देश में मंदी है, अर्थव्यवस्था को सरकार ने बर्बाद कर दिया है, परंतु प्रधानमंत्री जी इस बात को मानने को भी तैयार नहीं।

विरोधी दलों की एकता को लेकर काफी प्रयास किए गए, लेकिन तालमेल का अभाव है। क्या करेंगे?
ऐसा सिर्फ संभव ही नहीं, यह वास्तविकता है। हम देशहित में मोदी जी को हराने जा रहे हैं। हमारे सुर-ताल सब साथ हैं और पक्के हैं। कई राज्यों में जैसे बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में हमने गठबंधन कर लिया है। पूरा देश साथ आ रहा है। चिंता की कोई बात नहीं है।

एन.आर.सी. और पी.आर.सी के मुद्दे पर कांग्रेस का क्या स्टैंड है?
पूर्व के लोगों की एक विशेष जीवन पद्धति, संस्कृति और परंपरा है, जैसे पंजाब के हमारे भाई-बहनों की भी। हम इस देश की विविधता का सम्मान करते हैं। नॉर्थ ईस्ट के लोग, जो सदियों से एक साथ मिलकर रहते आ रहे हैं, भाजपा उनके अंदर दरार पैदा करना चाहती है और हम इसके खिलाफ हैं। एन.आर.सी. को एक गलत मंशा से लागू किया जा रहा है। हमारी मांग है कि एन.आर.सी. के कारण किसी भी भारतवासी की नागरिकता को नहीं छीना जाना चाहिए।

आपके अक्सर मंदिर दर्शनों पर भाजपा सवाल उठाती रही है। सॉफ्ट हिंदुत्व क्या कांग्रेस की किसी रणनीति का हिस्सा है?
धर्म किसी व्यक्ति विशेष की बपौती नहीं। हिंदू धर्म का तो आधार ही उदारता है, करुणा है और सबको अपने आप में समेट लेने की भावना है। मुझे मालूम है कि मेरे मंदिर जाकर पूजा करने से भाजपा को परेशानी होती है। वे विचलित हो जाते हैं। देखिए, मैं सार्वजनिक जीवन में हूं। मुझे जब कोई आस्था से धर्मस्थान पर बुलाता है, तो मैं खुशी से जाता हूं। अपनी मर्जी से जाता हूं। अब भाजपा को इससे डर लगता है तो वह भाजपा का मसला है। जहां भी जाना होगा मैं जाऊंगा।

क्या कर्ज माफी ही किसानों के उद्धार का एकमात्र रास्ता है?
कर्ज माफी पर मेरा तर्क बड़ा सरल है। अगर मोदी जी, जेतली जी 15 लोगों का 3.5 लाख करोड़ कर्ज माफ कर सकते हैं, तो फिर हिन्दुस्तान के विद्यार्थी, हिन्दुस्तान के किसान, हिन्दुस्तान के गरीब को राहत क्यों नहीं मिलनी चाहिए? किसान-मजदूर दिनभर देश का पेट भरने के लिए मेहनत करते हैं। उन्होंने क्या गलती की है? उनका कर्ज क्यों माफ नहीं हो सकता? मेरा तर्क सबको एक नजर से न्याय देने का है। मैं मानता हूं कि अकेले कर्ज माफी से किसान-मजदूर का संपूर्ण कल्याण नहीं हो सकता। आपको नए तरीके से खेती को बढ़ाने के बारे सोचना पड़ेगा। मेरी सोच है कि कृषि क्षेत्र भारत की सबसे बड़ी शक्ति है और सामरिक संपदा भी। भाजपा सरकार अपनी नीतियों के चलते एक तरह से कृषि क्षेत्र पर पाबंदियां लगा करके बंद करना चाहती है। पिछले पांच सालों में हिन्दुस्तान की सरकार ने देश को क्या समर्थन दिया? क्या तकनीकी मदद दी? क्या खाद-बीज की कीमतें घटाईं? क्या उचित दाम मिला? सच यह है कि देश का किसान-मजदूर भाजपा सरकार में बुनियादी विश्वास खो चुका है।

अभी सुषमा स्वराज ओ.आई.सी. समिट होकर आई हैं? इसे आप कितनी बड़ी जीत मानते हैं?
जीत! काहे की जीत? जिसे मोदी सरकार कूटनीतिक जीत बताकर ढिंढोरा पीट रही थी, वह असल में कूटनीतिक विफलता साबित हुई। भारत की विदेश मंत्री ओ.आई.सी. की बैठक में गईं और बैठक के अंत में वहां जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत के हितों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। क्या इससे सरकार की कूटनीतिक विफलता साफ जाहिर नहीं होती? क्या हम भावी प्रधानमंत्री उम्मीदवार से बात कर रहे हैं? यह मैं कैसे कह सकता हूं। यह तो हिन्दुस्तान की जनता को तय करना है। फैसला चुनाव के बाद लिया जाएगा। जो फैसला लिया जाएगा मुझे वह मान्य होगा।

राम मंदिर पर कांग्रेस अध्यक्ष का क्या स्टैंड है?
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। अदालत जो भी निर्णय करे, वो सबके लिए होगा और हमारी अपील होगी कि उसे सब लोग मानें।

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