Edited By shukdev,Updated: 26 Aug, 2018 05:31 PM
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि सभी गैर-सांप्रदायिक ताकतों को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाम दलों को उनके साथ शामिल होने में ‘हिचकना’ नहीं चाहिए क्योंकि ‘लोकतंत्र खतरे में...
कोलकाता: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि सभी गैर-सांप्रदायिक ताकतों को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाम दलों को उनके साथ शामिल होने में ‘हिचकना’ नहीं चाहिए क्योंकि ‘लोकतंत्र खतरे में है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें निश्चित रूप से निरंकुशता के विरुद्ध विरोध जताना चाहिए।
मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि हमें निश्चित रूप से उनकी निरंकुश प्रवृत्तियों के खिलाफ लडऩा चाहिए। हमें निश्चित रूप से उन मुद्दों की आलोचना करनी चाहिए जहां हमें गैर-सांप्रदायिक दक्षिणपंथी ताकतों के विरोध की आवश्यकता हो। लेकिन जब बात सांप्रदायिकता से लडऩे की आए तो हमें बिल्कुल अपने हाथ पीछे नहीं खींचने चाहिए, जो आज सबसे बड़ा खतरा बन गया है।’
उन्होंने केन्द्र की भाजपा सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को ‘महज 31 प्रतिशत वोट मिले और राजनीति में अपने गलत इरादों’ की बदौलत पार्टी सत्ता में आई। सेन ने यहां के शिशिर मंच सभागार में कहा सवाल-जवाब सत्र के दौरान कहा, ‘वर्ष 2014 में चुनावों में क्या हुआ? एक पार्टी जिसे 55 प्रतिशत सीटें मिलीं, लेकिन वास्तव में उसने कुल मतों का महज 31 प्रतिशत मत पाया... वो सत्ता में आई...। एक गलत इरादों वाली पार्टी।