अनजाने में हुअा धर्म का अपमान अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Edited By ,Updated: 22 Apr, 2017 01:09 PM

not all insults to religion are offences says supreme court

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनजाने में या गलती से अगर कोई शख्स धर्म का अपमान कर बैठता है

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनजाने में या गलती से अगर कोई शख्स धर्म का अपमान कर बैठता है तो उसके खिलाफ मामला नहीं चलाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे कानून का दुरुपयोग हाेता है। कोर्ट ने कहा, अनचाहे तरीके से, लापरवाही में या बिना किसी खराब मंशा के अगर धर्म का अपमान होता है या किसी वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाएं भड़कती हैं तो यह काम कानून की इस धारा के अंतर्गत नहीं आता। इसके साथ ही कोर्ट ने कानून की धारा 295A के गलत इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की। इस सेक्शन के तहत धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप साबित होने पर कम से कम 3 साल की सजा हो सकती है। 

क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने खुद पर लगे धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप के मामले में केस चलाए जाने को चुनौती दी थी। मामला 2013 का है, जब उन्हें एक बिजनस मैगजीन के कवर पेज पर 'भगवान विष्णु' के तौर पर दिखाया गया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ताजा राय से निश्चित तौर पर उन लोगों, खासतौर पर सार्वजनिक छवि वाले लोगों के हितों की रक्षा होगी, जो अक्सर राजनीतिक कार्यकर्ताओं और जानबूझकर निशाना बनाने वालों के शिकार हो जाते हैं। इससे पहले, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन के मामले में इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी एक्ट 2000 के सेक्शन 66ए को खत्म करके भी सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स को बड़ी राहत दी थी।

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