Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Mar, 2019 08:51 AM
यदि आप सोचते हैं कि सांप्रदायिक हिस्सा का शिकार कश्मीर घाटी के पंडित ही हैं तो आप गलत हैं, इसी तरह की हिंसा का शिकार हैं मिजोरम के 37 हजार ब्रू परिवार जो वहां से भागकर त्रिपुरा में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
नेशनल डेस्कः यदि आप सोचते हैं कि सांप्रदायिक हिस्सा का शिकार कश्मीर घाटी के पंडित ही हैं तो आप गलत हैं, इसी तरह की हिंसा का शिकार हैं मिजोरम के 37 हजार ब्रू परिवार जो वहां से भागकर त्रिपुरा में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। ये सभी परिवार भी कश्मीरी पंडितों की तरह धार्मिक हिंसा का शिकार हैं। मोदी सरकार के लिए इन ब्रू परिवारों को वापस मिजोरम भेजना काफी मुश्किल चुनौती लग रही है। इस संबंध में एक संसदीय पैनल ने मिजोरम सरकार को फटकार लगाते हुए अपील की थी कि राज्य सरकार को हर हाल में इन ब्रू परिवारों का पुनर्वास करवाना चाहिए। पैनल ने ब्रू परिवारों के 6 शिविरों की दयनीय हालत के सुधार के लिए सुझाई गई सिफारिशों की समीक्षा न करने पर भी राज्य सरकार से नाराजगी जताई थी।
यही नहीं, सरकार द्वारा इन परिवारों की बेहतरी के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी भी वहां के गृह मंत्रालय ने उपलब्ध नहीं करवाई है इसलिए केंद्रीय कमेटी ने एक बार फिर पहले वाली सिफारिशों पर अमल कर तुरंत कार्रवाई कर रिपोर्ट उपलब्ध करवाने को कहा है। मोदी सरकार के लाख प्रयत्नों के बाद भी इन ब्रू परिवारों को उनके गृह राज्य मिजोरम में पुन: बसाया नहीं जा रहा है। कई लोग उन्हें दिए जा रहे पुनर्वास पैकेज को लेने से इन्कार कर चुके हैं।
केंद्र सरकार ने हर परिवार के लिए 4 लाख के पैकेज की घोषणा के साथ-साथ 2 साल तक 5 हजार प्रतिमाह नकद राशि देने की घोषणा की है बावजूद इसके 5407 परिवारों में से केवल 48 ब्रू परिवारों का ही पुनर्वास वहां हुआ है। पिछले साल जुलाई में हुए समझौते के हिसाब से सभी ब्रू परिवारों को उसी साल सितम्बर तक वापस मिजोरम जाना था। इसके बाद मोदी सरकार ने इसके लिए डैड लाइन इस साल 31 मार्च तक बढ़ा दी है। मिजोरम में 1997 में हुए दंगों के चलते 5 हजार से अधिक ब्रू परिवारों ने मिजोरम से पलायन कर लिया था।