प्रत्याशियों के जीत का गणित बिगाड़ सकता है NOTA

Edited By vasudha,Updated: 29 Apr, 2019 11:21 AM

nota can spoil the math of victory

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सितम्बर 2013 में शुरू किया नोटा चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे प्रत्याशियों से लेकर पार्टियां दुविधा में हैं। दरअसल, 2013 से पहले नोटा के स्थान पर यदि उम्मीदवार पसंद न हो तो उसके लिए फॉर्म-49 भरा जाता था। ऐसे में फॉर्म...

नई दिल्ली (अनिल सागर): सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सितम्बर 2013 में शुरू किया नोटा चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे प्रत्याशियों से लेकर पार्टियां दुविधा में हैं। दरअसल, 2013 से पहले नोटा के स्थान पर यदि उम्मीदवार पसंद न हो तो उसके लिए फॉर्म-49 भरा जाता था। ऐसे में फॉर्म भरने के बाद गोपनियता भंग हो जाती थी। इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम में ही नन ऑफ द एबॉव बटन का आदेश दिया जिसके बाद नोटा का बटन आया।
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चुनावी जानकार मानते हैं कि सबसे पहले नोटा को छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, दिल्ली और मध्य प्रदेश में लागू किया गया। आकलन करें तो पता चलता है कि पिछले 5 साल में 1.33 करोड़ मत विधानसभाओं व लोकसभा में संयुक्त तौर पर नोटा के नाम गए हैं जबकि विधानसभा चुनाव में कुल 2.70 लाख रहे। उपचुनाव में गोवा, दिल्ली और आंध्र प्रदशे में सबसे ज्यादा नोटा का बटन दबाया गया। गोवा में 2017 में पणजी और वलपोई विधानसभा क्षेत्र में नोटा तीसरे नंबर पर रहा और कुल 301 मत 1.94 प्रतिशत और 458 1.99 मत मिले। दिल्ली में यह बवाना में चौथे नंबर पर था जहां 1413 मत रहे जो कि 1.07 प्रतिशत थे।
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लोकसभा चुनाव में पहली बार 2014 में ही नोटा शुरू हुआ और करीबन 6,00,2,942 मत जो कि कुल मतों का 1.08 प्रतिशत रहा नोटा के नाम हो गए। सबसे ज्यादा मत तमिलनाडू के नीलगिरी संसदीय क्षेत्र में 46559 मत पड़े जबकि सबसे कम लक्षद्वीप में 123 रहे। दिल्ली में कुल वैध मतों 82.59 लाख में से 39690 मत नोटा के नाम रहे। बिहार और दिल्ली के विधानसभा चुनावों की बात करें तो 2015 में दोनों स्थानों पर दो प्रतिशत से अधिक 9.83 हजार मत पड़े जिसमें बिहार में 9.47 लाख और दिल्ली में 35,897 मत पड़े। बिहार में अब तक सर्वाधिक मत मिले हैं और दिल्ली में सबसे कम रहे। हालाकि नोटा को हरियाणा के चुनाव में लोगों ने अधिक पसंद नहीं किया और यहां 2014 के चुनाव में 53613 मत ही मिले और इसी सूची में कुल 8 राज्य थे जहां नोटा की उपस्थिति फीकी रही। 

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जानकार मानते हैं कि जहां आपराधिक उम्मीदवार अधिक होते हैं वहां नोटा का उपयोग ज्यादा होता है। इसमें छत्तीसगढ़ ऐसा प्रदेश है जहां 2.68 प्रतिशत, 39,896 मत 10 विधानसभा इलाकों में पड़े। नगर निगम चुनाव में दिल्ली और महाराष्ट्र में नोटा उल्हासनगर में पसंद बना जहां 4.58 लोगों ने नोटा का बटन दबाया जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम इलाके में  लोगों ने बेशक गंदगी रहते हुए नाराजगी में वोट दिया हो लेकिन नोटा 0.58 प्रतिशत ही रहा और पूरे नगर निगम चुनाव में 2017 में 49235 मत मिले। दिल्ली में सबसे ज्यादा नोटा का बटन उत्तर पश्चिमी दिल्ली में दबाया गया।

लोकसभा चुनाव 2014 
संसदीय क्षेत्र             विजयी उम्मीदवार              रनर अप                          कुल मतदाता         वैध मत        नोटा         जीत का अंतर  
नई दिल्ली               मीनाक्षी लेखी(453350)      आशीष खेतान (290642)    1489260            969812       5589        1,62,708 
चांदनी चौक             डॉ. हर्षवर्धन-(437938)       आशुतोष(301618)            1447026             977329      4534         136320
उत्तर पूर्वी दिल्ली       मनोज तिवारी-(596125)    आनंद कुमार(452041)       1957408            1317338    3824          144084  
पूर्वी दिल्ली              महेश गिरी- (572202)        राजमोहन गांधी (381739)  1829177            1196336     4975         190463  
उत्तर पश्चिमी दिल्ली   उदितराज-(629860)          राखी बिड़लान-(523068)     2193427            1356036    8826         106792 
पश्चिमी दिल्ली         प्रवेश वर्मा-(651395)          जरनैल सिंह-(382809)        2038067            1340039    7932          268586 
दक्षिणी दिल्ली         रमेश बिधूड़ी (497980)        कर्नल देवेंद्र -(390980)       1752004            1102410     4010        107000


 

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