अब इंडस्ट्री को कैशलैस करने की तैयारी में मोदी सरकार

Edited By ,Updated: 30 Dec, 2016 10:02 AM

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नोटबंदी के बाद मोदी सरकार अब इंडस्ट्री को कैशलैस करने की तैयारी में है।  कम नकदी वाले समाज की ओर ले जाने की दिशा में नया अधिसूचित अध्यादेश मददगार साबित होगा। इस अध्यादेश के प्रावधानों के जरिए केंद्र और राज्य सरकारें उन उद्योगों तथा प्रतिष्ठानों का...

नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद मोदी सरकार अब इंडस्ट्री को कैशलैस करने की तैयारी में है।  कम नकदी वाले समाज की ओर ले जाने की दिशा में नया अधिसूचित अध्यादेश मददगार साबित होगा। इस अध्यादेश के प्रावधानों के जरिए केंद्र और राज्य सरकारें उन उद्योगों तथा प्रतिष्ठानों का वर्गीकरण कर सकती हैं जिनमें श्रमिकों के वेतन का भुगतान या तो चैकया सीधे उनके खाते में पैसा डालकर किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि वेतन भुगतान कानून, 1936 में संशोधन संबंधी अध्यादेश कल इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद कानून बन गया है। इसे लाने का मकसद यह है कि कुछ निश्चित उद्योगों के नियोक्ताओं को कर्मचारियों के वेतन का भुगतान सिर्फ इलैक्ट्रॉनिक तरीके या चैक से करने के लिए ‘बाध्य’ करना है। सूत्रों ने यह भी कहा कि इससे हम कम नकदी वाले समाज की ओर अग्रसर होंगे। साथ ही कर्मचारियों को कम वेतन की शिकायतें दूर होंगी। इसके अलावा इससे श्रम मंत्रालय को श्रमिकों को ई.पी.एफ.ओ. तथा ई.एस.आई.सी. द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाने में मदद मिलेगी।

वेतन आयोग, बैंकों का पुन: पूंजीकरण होगा
सरकार को नोटबंदी के बाद जारी की गई आय घोषणा योजना-2 (आई.डी.एस.-2) से 1,00,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर जुटने की उम्मीद है जिससे 2017-18 के राजकोषीय घाटे को अंकुश में रखने में मदद मिलेगी। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल ङ्क्षलच (बोफा-एम.एल.) की रिपोर्ट के अनुसार राजकोषीय घाटे को अंकुश में रखने के अलावा इस अतिरिक्त कर से 7वें वेतन आयोग के वित्तपोषण तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुन: पूंजीकरण में भी मदद मिलेगी। इसके लिए सार्वजनिक व्यय में कटौती करने की जरूरत नहीं होगी। बोफा-एम.एल. के शोध नोट में कहा गया है कि इससे सार्वजनिक बैंकों के पुन: पूंजीकरण में भी मदद मिलेगी।

 60 लाख खाताधारकों ने 7 लाख करोड़ रुपए कराए जमा
नोटबंदी की घोषणा के बाद से 60 लाख व्यक्तियों व कंपनियों ने लगभग 7 लाख करोड़ रुपए की जमाएं करवाई हैं। सरकार ने इन्हें आगाह करते हुए कहा है कि उन्हें बताना होगा कि यह धन कहां से आया क्योंकि केवल बैंक में जमा करवा देने से ही काला धन वैध नहीं हो जाएगा। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकार किसी ईमानदार या खरे जमाकत्र्ता को शिकार नहीं बनाएगी लेकिन काले धन को वैध बनाने की कोशिश कर रहे काला धन धारक को बख्शा नहीं जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 8 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा की और 1000 व 500 रुपए के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर 
कर दिया।

नोटबंदी का कारण बताने से मुकरा आर.बी.आई.
सरकार ने 1000 व 500 रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने यानी नोटबंदी का फैसला क्यों किया? सरकार की नोटबंदी की घोषणा के 50 दिन बाद भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि इस अप्रत्याशित घोषणा के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही उसने यह भी बताने से इंकार किया है कि पुराने नोटों की जगह नए नोट लाने में कितना समय लगेगा। रिजर्व बैंक ने सूचना का अधिकार कानून (आर.टी.आई.) के तहत जानकारी मांगे जाने पर यह जवाब दिया है। उसने कहा है, ‘‘यह सवाल ऐसी घटना की भावी तारीख के बारे में है जिसे सूचना के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है।’’  रिजर्व बैंक ने यह नहीं बताया है कि कानून की उक्त धारा के तहत इस तरह की जानकारी के बारे में छूट कैसे मिलती है क्योंकि यह फैसला तो पहले ही किया जा चुका है। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने इस बारे में कहा, ‘‘इस मामले में जो जानकारी मांगी गई है वह किसी भी छूट की धारा के तहत नहीं आती।’’ 


 

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