Edited By ,Updated: 05 Jan, 2017 04:34 PM
8 नवंबर को भारत में नोटबंदी का फैसला लागू हुआ था और 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे। लोगों को पैसे बदलवाने के लिए बैंक और एटीएम की लाइनों में लगना पड़ा। इस फैसले को लेकर पीएम मोदी को भी जमकर कोसा गयाा, लेकिन क्या आपको पता है इसके पीछे किसी और का...
नई दिल्ली: 8 नवंबर को भारत में नोटबंदी का फैसला लागू हुआ था और 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे। लोगों को पैसे बदलवाने के लिए बैंक और एटीएम की लाइनों में लगना पड़ा। इस फैसले को लेकर पीएम मोदी को भी जमकर कोसा गयाा, लेकिन क्या आपको पता है इसके पीछे किसी और का ही हाथ है।
नोटबंदी के इस फैसले के पीछे अमेरिका का हाथ है। इस बात का खुलासा एक लेख में जर्मन अर्थशास्त्री नॉर्बर्ट हैरिंग ने किया है।उन्होंने कहा कि भारत के साथ बेहतर विदेश नीतियों को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सामरिक साझेदारी की घोषणा की थी। इसमें चीन पर लगाम कसने की बात भी थी। इस साझेदारी के बारे में अमेरिकी सरकार की विकास एजेंसी यूएसएआईडी ने भारतीय वित्त मंत्रालय के साथ सहयोग समझौतों पर बातचीत की थी। इसमें एक गोल यह भी था कि भारत और वैश्विक स्तर पर कैश को पीछे कर डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जाएगा।
उनके मुताबिक नोटबंदी फैसले के चार हफ्ते पहले यूएसएआईडी ने कैटलिस्ट नाम की स्कीम शुरू की, जिसका मकसद भारत में कैशलेस पेमेंट्स को बढ़ावा देना था। 14 अक्टूबर की प्रेस स्टेटमेंट कहती है कि कैटलिस्ट यूएसएआईडी और वित्त मंत्रालय की बीच साझेदारी का अगला दौर है। अब यूएसएआईडी की वेबसाइट पर मौजूद प्रेस रिलीज में यह स्टेटमेंट अब दिखाई नहीं देता, लेकिन पहले नीरस दिखाई देने वाला यह बयान उस वक्त सच साबित हुआ जब 8 नवंबर को भारत में नोटबंदी का आदेश लागू हुआ। उन्होंने कहा कि कैटलिस्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आलोक गुप्ता हैं जो वॉशिंगटन के वल्र्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के सीओओ रहे हैं। वह उस टीम का हिस्सा भी रहे हैं, जिन्होंने भारत में आधार सिस्टम को डिवेलप किया।