नोटबंदी का असर: बाजार में सड़ रही मछलियां, सब्‍जी व फल मण्‍डी का भी बुरा हाल

Edited By ,Updated: 15 Nov, 2016 02:50 PM

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नोटबंदी का असर फुटकर ही नहीं थोक बाजार पर भी दिखाई दे रहा है। व्‍यापारियों की हालत खस्‍ता है। जो माल बाहर से आकर डंप किया जा चुका है, उसे खरीदने के लिए फुटकर दुकानदार भी नहीं आ रहे हैं।

गोरखपुर: नोटबंदी का असर फुटकर ही नहीं थोक बाजार पर भी दिखाई दे रहा है। व्‍यापारियों की हालत खस्‍ता है। जो माल बाहर से आकर डंप किया जा चुका है, उसे खरीदने के लिए फुटकर दुकानदार भी नहीं आ रहे हैं। नतीजा थोक मछली मण्‍डी के बाजार में बाहर से आई मछलियां सड़ रही हैं। व्‍यापारियों का कहना है कि मछलियों को फेंकने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं बचा है। वहीं सब्‍जी और फल मण्‍डी में भी व्‍यापारियों की बिक्री पर बुरा असर पड़ा है। 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के कारण व्‍यापार पूरी तरह से ठप है।

गोरखपुर के ट्रांसपोर्टनगर महेवा में स्थित नवीन मत्‍स्‍य मण्‍डी में थोक व्‍यापारियों का बुरा हाल है। जो मछलियां आंध्र प्रदेश से यहां डंप हो चुकी है, वह माल पूरी तरह से सड़ गया है। बहुत से दुकानदार दुकान बंद करके ब‍ैठे हुए हैं। उनका कहना है कि 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के कारण हाहाकार मचा हुआ है। सारी मछलियां सड़ रही हैं। फुटकर व्‍यापारियों के मछलियां नहीं खरीदने के कारण वह सड़ गई हैं। पूरे बाजार में मछलियां सडऩे के कारण बदबू आ रही है।

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इस संबंध में मछली मण्‍डी समिति के अध्‍यक्ष गजेन्‍द्र साहनी का कहना है कि 500 और 1000 के नोट बंद होने के कारण हालत बहुत खराब है। जो माल आ गया है वह सड़ रहा है। फुटकर व्‍यापारियों के पास छोटा नोट नहीं होने के कारण मछलियों की बिक्री पर भी खासा प्रभाव पड़ा ह। वह लोग म‍छलियां सडऩे के कारण उन्‍हें फेंकने को मजबूर हैं। वहीं मण्‍डी के बाहर ट्रकों में भी मछलियां रखी हुई हैं। यदि बिक्री का यही हाल रहा, तो वह भी सड़ जाएंगी। वहीं समिति के पूर्व अध्‍यक्ष नूरुल इस्‍लाम उस्‍मानी का कहना है कि मछलियां सड़ गई ह‍ैं उन्‍हें बर्फ में ढककर सेंट डालकर रखना पड़ रहा है, जिससे कि बदबू बाहर नहीं आए। उनका कहना है कि यदि नोट बंद ही करने थे तो थोड़ा सा समय देना चाहिए था। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का अचानक लिया गया यह निर्णय पूरी तरह गलत है।

वहीं मछली मण्‍डी के थोक व्‍यापारी मोनू प्रसाद, मोहम्‍मद अकरम, अफजल बताते हैं कि अधिकतर दुकान बिक्री नहीं होने के कारण अपनी दुकानें बंद कर दिए हैं। आंध्र प्रदेश से जो मछलियां आईं हैं वह मण्‍डी के बाहर ट्रकों में रखी हुई हैं। फुटकर व्‍यापारियों के पास छोटे नोट नहीं होने के कारण बाजार में भीड़ नहीं है. नतीजा जो म‍छलियां व्‍यापरियों के पास हैं वह सड़ गई हैं। अब उसे फेंकने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। 

वहीं पूर्वांचल सब्‍जी-फल थोक विक्रेता कल्‍याण समिति के अध्‍यक्ष संजय शुक्‍ला का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के 500-1000 रुपए के नोट बंद होने के कारण थोक और फुटकर व्‍यापारी खासे परेशान हैं। इसका कारण भी साफ है. हमारे यहां सारा कच्‍चे माल का सौदा है. यदि समय से यह माल नहीं बिकेंगे तो खराब हो जाएंगे. फुटकर व्‍यापारियों के नहीं आने के कारण वह लोग माल नहीं मंगा रहे हैं। ऐसे में जब माल नहीं आएगा तो सब्जियों और फल की शार्टेज हो जाएगी. ऐसे में सब्जियों और फल के भाव आसमान छूने लगेंगे. ऐसा हर मार्केट का हाल है। जिसका असर अर्थव्‍यवस्‍था पर तो पड़ेगा ही, उसके साथ महंगाई भी बढ़ जाएगी।

आलू-प्‍याज के थोक व्‍यापारी फिरोज अहमद का कहना है कि 8 तारीख के पहले जो आलू 1600 रुपए कुंतल बिक रहा था आज वह 1200 रुपए कुंतल बिक रहा है. इसका कारण है कि फुटकर व्‍यापारी माल खरीदने नहीं आ रहे हैं। ऐसे में आलू अखुआ जा रहा है, जिससे उसे सस्‍ते दामों में ब‍ेचना मजबूरी है। ऐसे में माल की शार्टेज होने से कुछ दिनों बाद आलू-प्‍याज के दाम आसमान छूने लगेंगे। नोटबंदी के कारण चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। हर तरफ लोग परेशान है। ऐसे में मछली, सब्‍जी और फल जैसे कच्‍चे माल के नहीं आने और लोगों के पास छोटे नोट नहीं होने के कारण आगे और हालात खराब होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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