नोटबंदी : बाजार झेल रहे नई करंसी की किल्लत, संभलने में लगा थोक बाजार

Edited By ,Updated: 25 Nov, 2016 08:51 AM

notbandi market facing new currency shortage  the wholesale market began to recover

पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद होने की घोषणा को 15 दिन हो चुके हैं लेकिन इस नोटबंदी से रातों-रात हर तरह के बाजार पर छाए मंदी के बादल अब भी पूरी तरह नहीं छंटे हैं।

चंडीगढ़ (नेहा): पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद होने की घोषणा को 15 दिन हो चुके हैं लेकिन इस नोटबंदी से रातों-रात हर तरह के बाजार पर छाए मंदी के बादल अब भी पूरी तरह नहीं छंटे हैं। अब भी बाजार में नई करंसी की किल्लत कायम है। भले ही सरकार के प्रयासों के बाद बैंकों और ए.टी.एम. के बाहर लोगों की लाइन छोटी लगने लगी हो लेकिन बाजार में नई करंसी के चलन की गति अभी बहुत धीमी है। पांच सौ का नया नोट भी सभी बैंकों में नहीं आया है। ए.टी.एम. से सिर्फ दो हजार और सौ-सौ के नोट मिल पा रहे हैं। इस बीच, थोक का बाजार डिजीटल पेमैंट ऑप्शन से खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रहा है जबकि रिटेल मार्कीट को पांच सौ के नए नोट सबसे हाथ में आने का इंतजार है।

 

अगर बाजार की बात करें तो सबसे ज्यादा फर्क फलों और सब्जियों के थोक व रिटेल विक्रेताओं पर पड़ रहा है। बहुत ज्यादा वक्त तक सब्जी या फलों को स्टोर करके रखना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है और नोट बंदी के बाद इन्हें बेचना विक्रेताओं के लिए मुश्किल बन गया है। सैक्टर-26 स्थित मंडी में आलू-प्याज के थोक विक्रेता मदन के मुताबिक अब डिजीटल पेमैंट से थोक व्यापार धीरे-धीरे शुरू हो रहा है। इसके साथ ही अब हम लगातार ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करना शुरू रखेंगे, ताकि फिर कभी भविष्य में ऐसी मंदी का सामना न करना पड़े। 

 

लगातार बदल रहे फलों के दाम: बबलू 
फलों के विक्रेता बबलू का कहना है कि नोटबंदी के बाद से फलों के दाम लगातार बदल रहे हैं। कभी ज्यादा तो कभी कम। जिसका माल ज्यादा खराब हो रहा है, वह सस्ता दे रहा है। जिसके पास माल संभालने की जगह है, वो महंगा बेच रहा है। सब्जी की फड़ी लगाने वालों का कहना है कि उन्हें 500 के नोट बाजार में आने का इंतजार है, ताकि दो हजार के नोट के छुट्टे की समस्या खत्म हो और बिक्री बढ़े।

 

करियाना के सामान की कीमत में नहीं बदलाव: संजीव 
करियाना की दुकानों में भले ही भीड़ की कमी हो लेकिन आम लोगों के लिए यहां खुशी की खबर है। सैक्टर-32 में करियाना की दुकान करने वाले संजीव का कहना है कि किसी भी राशन के सामान की कीमत पर नोटबंदी के बाद कोई बड़ा फर्क नहीं आया है। यह बात अलग है कि ग्राहकों की संख्या में कमी आई है। जो ग्राहक आ रहे हैं, वह कम मात्रा में सामान ले रहे हैं।

 

लोगों ने पैट्रोल पम्पों पर जमा करवाए रुपए
केंद्र सरकार की घोषणा थी कि 24 नवम्बर को रात 12 बजे के बाद से पैट्रोल पंपों पर पांच सौ और एक हजार रुपए के पुराने नोट स्वीकार नहीं होंगे। इस घोषणा के मद्देनजर वीरवार को कई पैट्रोल पंपों पर लोगों से दस हजार रुपए तक ले लिए गए और उन्हें पर्ची देकर कह दिया गया कि वह आगे जब भी पैट्रोल-डीजल गाड़ी में डलवाने आएं तो यह पर्ची दिखा दें। जितने का तेल डलवाया जाएगा, उतने रुपए इसमें कम कर दिए जाएंगे। हालांकि सरकार ने पैट्रोल पंपों पर पांच सौ और एक हजार रुपए के पुराने नोट स्वीकार किए जाने की तिथि वीरवार शाम को बढ़ा दी लेकिन दिनभर कई पैट्रोल पंपों पर लोगों ने एडवांस में अपने हजारों रुपए जमा करवा दिए, ताकि पुराने नोट भी चल जाएं और पैट्रोल-डीजल के लिए नई करंसी के संकट का सामना न करना पड़े।

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